एक अधिकारी और गडरिए की प्रेरणादायक कहानी – Emotional story in Hindi

एक अधिकारी और गडरिए की प्रेरणादायक कहानी - Emotional story in Hindi
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“एक अधिकारी और गडरिए की प्रेरणादायक कहानी ।” जो चीज हमें शिक्षा नहीं सिखा पाती, वह इंसानियत सीखा जाती हैं । दूसरों के प्रति सहानुभूति रखने और उनके बारे में सोचना, हमें वास्तव में इंसान बनाता है । आज की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जो कि एक बहुत बड़े अधिकारी है । उन्होंने बहुत शिक्षा प्राप्त की हुई है, किंतु एक छोटे से गडरिया ने उन्हें मनुष्य होने की शिक्षा दे दी ।

एक अधिकारी और गडरिए की प्रेरणादायक कहानी – Emotional story in Hindi

एक बार की बात है एक बहुत बड़े अधिकारी कार में, अपनी पत्नी के साथ बैठकर जा रहे थे । रास्ते में चलते-चलते उनकी पत्नी को पेड़ पर बया पक्षी के घोसले दिखे । उस घोसले को देखकर पत्नी बोली- देखो! कितने खूबसूरत घोसले है!! क्यों ना हम दो घोसले अपने घर ले चले, इन्हें घर में रखने से हमारे घर की सुंदरता कितनी बढ़ जाएगी ।

पति बोला- हां, तुम ठीक कहती हो, वाकई ये घोसले बहुत खूबसूरत है ।
पति ने ड्राइवर से बोलकर गाड़ी रुकवा दी और बोले- ड्राइवर गाड़ी से उतरकर पेड़ में से दो बया के घोंसले उतार कर ले आओ ।

ड्राइवर गाड़ी से उतरा तो उसने देखा, घोसले तो बहुत ऊंचाई पर है उसे निकालना मुश्किल है ।
ड्राइवर अधिकारी से बोला- साहब! यह बया के घोसले तो बहुत ऊंचाई पर है और मुझे तो पेड़ पर चढ़ना भी नहीं आता । मैं इसे कैसे निकालू ?

ड्राइवर की बात सुनते ही अधिकारी गाड़ी से नीचे उतर गया और उसने आस-पास नजर दौड़ाई तो उसे भेड़ चराता हुआ एक गडरिया दिखा ।
गडरिये को देखते ही अधिकारी ने आवाज लगाई ।
आवाज सुनते ही गडरिया रुक कर उनके नजदीक आया ।

गडरिया बोला- कहो! क्या बात है?
अधिकारी बोला-
यह पेड़ बहुत ऊंचा है मुझे दो घोसला चाहिए ताकि इन्हें मैं अपने घर ले जा सकूँ । तुम तो यही के लगते हो, और गडरिया हो, तुम्हें तो पेड़ पर चढ़ना आता होगा । तुम पेड़ पर चढ़कर मेरे लिए दो घोसला निकाल दो ।

गडरिया बोला- मुझे पेड़ पर चढ़ना आता है, पर मैं घोसला नहीं निकालूँगा ।
ऐसा कहते ही वह आगे की ओर निकल गया ।

अधिकारी को गडरिया का यह जवाब बड़ा अजीब लगा, उसने गडरिया को आवाज़ लगाई और वह रुक गया ।
अधिकारी बोला- ठीक है! मैं तुम्हें दस रुपए दूंगा, तब तो यह घोसला उतार दोगे ?
गडरिया बोला- नहीं साहब !
अधिकारी बोला- ठीक है, पचास रुपए ले लो ।
गडरिया फिर बोला- नहीं साहब!
ऐसा बोलते ही फिर वह आगे की ओर निकलने लगा ।

अधिकारी सोचने लगा कि आखिर यह क्यों मना कर रहा है । शायद इसे ज्यादा पैसे चाहिए होंगे ।
क्योंकि अधिकारी बड़े पद पर था, इसलिए उसे पैसे देने में परहेज नहीं था । उसने फिर गडरिये को रोका । उसने इस बार गडरिया को हजार रुपए देने का ऑफर किया ।

गडरिया बोला- नहीं साहब! आप हजार रुपए दो, चाहे कितने भी पैसे दो, मैं यह काम नहीं करूंगा ।
अब अधिकारी के मन में घोसला पाने से ज्यादा, यह सवाल खास हो गया कि आखिर यह घोसला उतारने से क्यों मना कर रहा है ।

अधिकारी बोला- ऐसी क्या बात है, जो तुम इन घोसलों को नीचे नहीं उतारना चाहते ? मैं तुम्हें पैसे देने को भी तैयार हूँ । उसके बावजूद भी तुम मेरा यह काम करने को तैयार नहीं हो रहे।

गडरिया बोला- साहब! इन घोसलों में चिड़िया के बच्चे हैं जब शाम को चिड़िया वापस लौटेगी और अपने बच्चों को नहीं देखेगी तो उसका क्या हाल होगा ? आपके घर में भी बच्चें होंगे। आप दिन भर ऑफिस का काम करके शाम को घर लौटते हो। अगर शाम को भगवान ना करें आपके बच्चें आपको घर पर ना मिलें तब आपको कैसा लगेगा ?? हमारे प्राण हमारे बच्चों में होते हैं, इसी तरह पशु पक्षी में भी यही भावना होती हैं। वे भी अपने बच्चों से हमारी ही तरह प्रेम करते हैं। आप मुझे कितना भी धन दे दें लेकिन मैं एक माँ को उसके बच्चों से दूर करने का पाप अपने ऊपर नहीं ले सकता।
ऐसा कहकर गडरिया चला गया ।

गड़रिये की बात सुनकर अधिकारी का सिर शर्म से झुक गया और उसके मन में पशु पक्षियों के प्रति प्रेम जाग गया। अधिकारी सोचने लगा की मैंने जीवन में सिर्फ किताबी ज्ञान को ही हासिल किया और उसी के फलस्वरूप मैं अधिकारी बन पाया लेकिन आज जो शिक्षा मुझे इस गड़रिये से मिली हैं वह किसी भी किताब से नहीं मिली। आज मुझे गडरिया ने समझा दिया है कि इंसानियत सबसे बड़ी चीज होती है और पक्षियों को भी हमारे साथ की जरूरत है । हमारा कोई हक नहीं बनता, कि हम उनसे उनका जीवन छीन ले उनके परिवार को अलग कर दे ।
अधिकारी गाड़ी में बैठ गए और घोसले को लिए बिना ही आगे निकल गए ।

यह कहानी हमें यह बताती है कि इंसानियत सबसे बड़ी चीज होती है । जिसे कि हमें पैसों से भी ऊपर रखना चाहिए । जिस मनुष्य के भीतर दूसरे इंसानो, पशु-पक्षियों और जानवरों के लिए सहानुभूति का भाव होता है । असल में वही मनुष्य कहलाने योग्य होते हैं । इसलिए अपने हृदय में प्रेम-सहानुभूति और दया को स्थान दे, जो कि दूसरों के लिए तो फायदेमंद है ही, साथ ही साथ आपके खुद के लिए भी है ।

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