अच्छे और बुरे लोगों से सामना: गौतम बुद्ध की शिक्षा | Hindi Story

गौतम बुद्ध
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हमारे आसपास समाज में हर तरह के लोग होते हैं, कुछ लोग हमसे स्नेह करते हैं और सही सलाह देते हैं, जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका काम हर बात में बुराई ढूढ़ना और नीचा दिखाना होता है। कई बार ऐसे नकारात्मकता ऊर्जा से भरी व्यक्तियों का सामना करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि हमें वह तरीका ही नहीं पता होता है, कि किस प्रकार से ऐसे व्यक्तियों का सामना किया जाए ताकि उनसे हमारे रिश्ते भी खराब न हों और उन्हें उनकी इस बुरी आदत का सही इलाज भी हो जाए।

जिन लोगों की गिरी हुई सोच होती है, वे कमियों को देखने और सुधारने के बजाय केवल दूसरों के आत्मविश्वास पर वार करते हैं, ताकि सामने वाले का मनोबल टूट जाए, और जीवन में कभी सफलता हासिल न कर पाएं। इस तरह के व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहने की जरूरत होती है, क्योंकि वे ईर्ष्याद्वेष भावना से ग्रसित होकर ऐसा व्यवहार करते हैं।

गौतम बुद्ध की शिक्षा हर किसी के जीवन को नई दिशा देती हैं। गौतम बुद्ध की एक कहानी से सीखते हैं कि जब कोई व्यक्ति हमें नीचा दिखा रहा हो, तो हमें किस प्रकार उससे शांति और समझदारी से निपटना चाहिए।

एक समय की बात हैं, संन्यासी गौतम बुद्ध के आश्रम में उनके दो बड़े ही विचित्र चरित्र के शिष्य रहा करते थे दरसल वे दोनों विचित्र इसलिए थे क्योंकि दोनों का स्वभाव बिल्कुल अलग था।

एक शिष्य का काम सभी के कामों में गलतियां निकालना और सभी को बिना मांगे सलाह देना था, जबकि दूसरे शिष्य का स्वभाव ऐसा था कि यदि कोई उससे कुछ कह देता था, तो वह जवाब नहीं दे पाता था और घंटों इस बात पर विचार करता रहता था। दोनो आपस में अच्छे मित्र थे, सन्यासी गौतम बुद्ध अपने इन दोनों शिष्यों के स्वभाव से अच्छी तरह से परिचित थे।

एक बार की बात है, दोनो में से वह शिष्य जो ज़बाब नही दे पाता था वह संन्यासी गौतम बुद्ध के पास पहुंचा। उस समय वह बेहद दुखी और परेशान था।

संन्यासी गौतम बुद्ध ने जब उससे उसकी परेशानी का कारण पूछा, “तो उसने बताया की उसका अपना मित्र ही उसे हर समय नीचा दिखाने का काम करता हैं”। उसके मित्र की इस आदत को देख कर आश्रम के अन्य सभी लोग उसे चिढ़ाते रहते है और कुछ न कुछ कहते रहते हैं, लेकिन दुख की बात यह थी कि वह किसी को उत्तर नही दे पाता था, ना ही उसे वह तरीका पता था जिससे ऐसे लोगों का सामना किया जा सकें।

अपने शिष्य की यह बात सुनकर सन्यासी गौतम बुद्ध मुस्कुराए और बोले, “यह समस्या तो बहुत ही छोटी हैं तुम स्वयं इन समस्यायों का सामना कर सकते हो, लेकिन इसके लिए तुम्हें स्वयं ही अपने बुद्धि का प्रयोग करना होगा।”

गौतम बुद्ध

शिष्य ने कहा, “अब आप ही मुझे बताइए कि मैं इस प्रकार के लोगों का सामना कैसे करू।”

संन्यासी गौतम बुद्ध ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें उपाय बताता हूँ।”

गौतम बुद्ध का उपदेश-अपमान और आलोचना से कैसे निपटें:

1.यदि कोई तुम्हारा अपमान करे या तुम्हारे विषय में ऐसी बातें करे जो तुम पसंद नहीं करते हो, तो तुम अपना बचाव कभी मत करो, उन्हें जो भी बात करनी है, करने दो। तुम्हें कोई जरूरत नहीं है उन्हें यह समझाने की कि तुम्हारे साथ यह समस्या क्यों है, तुम अगर उनके बातों का कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हो तो इससे तुम यह सिद्ध कर पाओगे की उनकी कोई भी बातों से तुम प्रभावित नहीं हुए हो। ऐसी स्थिति में अपना बचाव कभी नहीं करना चाहिए।

2. यदि कोई आपके बारे में बुरा बोल रहा है या आपको नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है, तो तुरंत उन पर हमला करने से बचें। अगर आप उनके द्वारा किए गए टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते है तो उन्हें आपकी आलोचना करने का एक और मौका मिल जायेगा। अचानक उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने से आप उनकी नजरों में कमजोर ही दिखेंगे इसलिए ऐसा कभी नहीं करना चाहिए।

3. यदि कोई आपको चुभाने वाली बात कह रहा हो या आपको नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा हो, तो आपको उससे प्रश्न पूछना चाहिए और कारण पूछना चाहिए कि आखिर में वह आपके बारे में इस प्रकार की बातें क्यों कर रहा है? ऐसा सवाल करने से अगर वह यह कार्य किसी गलत मनसा के साथ कर रहे है तो वह अपने आप ही शांत हो जाएंगे, क्योंकि उनके पास आपके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर होगा ही नहीं।

यदि उस व्यक्ति ने आपको कारण बता दिया कि वह आपके बारे में गलत बातें क्यों कह रहा है, तब आपको उन बातों का हल जरूर पूछना चाहिए कि आखिर आप किस प्रकार से अपनी कमियों को दूर करें।

इसके बाद गौतम बुद्ध अपने शिष्य को यह बताते हैं, की अनुभव के आधार पर प्रतिक्रिया करना चाहिए।

अनुभव के आधार पर प्रतिक्रिया करें– Motivational Story

पहले वो लोग जो हमसे उम्र और अनुभव दोनों में बड़े होते हैं। दूसरे हमारे बराबर के सहपाठी होते हैं और तीसरें जिनके उम्र और अनुभव दोनों ही हमसे कम होता है ऐसे में सोच समझ कर ही प्रतिक्रिया करनी चाहिए।

जब हमारे माता-पिता या गुरु हमें सलाह देते हैं, तो हमें कभी नहीं सोचना चाहिए कि वे हमें नीचा दिखा रहे हैं। हमें उनकी बातों पर ध्यान देना चाहिए और यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि उनकी सलाह पर कैसे काम किया जा सकता है, क्योंकि उनकी मनसा हमारे प्रति हमेशा सकारात्मक होती है। वे हमेशा हमारी भलाई के बारे में ही सोचते हैं।

यदि हमारी उम्र या सहपाठी हमें नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, तो पहले हमें उनकी बात को ध्यान से सुनना चाहिए। फिर हमें उन बातों पर विचार करना चाहिए। अगर हमें लगता है कि उनके द्वारा बताएँ गए कमियों पर सुधार करके हमारी भलाई हो सकती है, तो हमें उनके द्वारा दिए गए सलाह पर कार्य करना चाहिए। अगर हमारे हमउम्र, सहपाठी का उद्देश्य केवल हमें नीचा दिखाने का और हमें हास्यपात्र सिद्ध करना है तो हमें उनकी बातों को बेकार समझकर भूल जाना चाहिए।

कई बार बड़े लोग अपने से छोटे को अनुभवी नहीं मानते हैं और उनके बातों पर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसा कभी नहीं सोचना चाहिए कि जो हमसे उम्र में छोटा है तो वह हमेशा गलत ही होगा। यदि आपका छोटा आपसे सही बात कह रहा है, तो उसकी बात को ध्यान से सुनना चाहिए और विचार करना चाहिए कि क्या इससे हमारी भलाई हो सकती है, यदि उत्तर हां मिलता है, तो उसी अनुसार आपका प्रतिक्रिया होना चाहिए। यदि उत्तर नही में मिलता है तो, आप यह समझ सकते है की वह आपको नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है और आप उसे जवाब दे कर शांत कर सकता।

तब उस शिष्य ने गुरु से पूछा, “अगर कोई गलत उद्देश्य से हमें नीचा दिखाने का प्रयास करे तो हमारी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए?” तब गुरु ने बताया कि किसी भी गलत मंशा वाले लोगों को नीचा दिखाने के लिए इस तरह से व्यवहार किया जाता है।

मानसिक संतुलन को नियंत्रण में रखें:

यदि आपके सामने कोई उल्टा-सीधा बात कर रहा है और आपने अपना मानसिक संतुलन खो दिया और धैर्य नहीं रखा तो, यह आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए कभी भी दूसरे के द्वारा कही गई बुरी बात पर अपना मानसिक संतुलन नहीं खोना चाहिए। यदि आपने उस समय धैर्य रखा, तो निश्चित ही समय आने पर आप उस व्यक्ति को सही जवाब दे पाएंगे। उस जवाब के बाद वह आपको नीचा दिखाना छोड़ देगा।

वाणी पर नियंत्रण रखें:

यदि आपको कोई नीचा दिखाने वाली बात कर रहा है, तो उसके बात को ध्यान से सुनना चाहिए और अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। कई बार व्यक्ति दूसरों द्वारा कही गई बुरी बातों पर अपनी वाणी का नियंत्रण खो देते हैं और समाने वाले को अपशब्द कहने लगते हैं, ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। अपना वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपके ऊपर कोई दोष नहीं लगेगा। कहीं न कहीं सामने वाले व्यक्ति को अनुभव होगा कि यह तो मुझे कुछ नहीं कह रहा है, और इस तरह चुप रहकर भी आप सामने वाले को नीचा दिखा सकते हैं।

यदि कोई व्यक्ति आपकी बेइजती कर रहा है और आपके बारे में बुरी बातें करके आपको नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है, तो इसके लिए दो तरीके हैं, आप इन तरीकों का उपयोग करके उन्हें अच्छा जवाब दे सकते हैं।

गौतम बुद्ध ने बताया उपाय स्वाभिमान की रक्षा करने का – Motivational Story

1. उस व्यक्ति को ऊंचा दिखाकर नीचा दिखाना

किसी व्यक्ति को ऊंचा दिखाकर नीचा दिखाना बहुत ही आसान है। यदि कोई आपकी बेइजती कर रहा है और आपकी शारिरिक बनावट को लेकर मज़ाक कर रहा हैं या ऐसा कह रहा हैं की आपकी लंबाई बहुत कम है, तो आपको इस बात का उत्तर कुछ ऐसे देना चाहिए की आप और आपके परिवार के सभी लोग बहुत लंबे हैं, निश्चित ही उन्हें जीवन के किसी क्षेत्र में मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती होगी क्योंकि आपलोगों को सफलता तो आपलोगों की लंबाई देख कर ही मिल जाती है। सुनते ही वह व्यक्ति अपने आप शांत हो जायेगा और दोबारा किसी को कुछ नहीं कहेगा।

2. उस व्यक्ति को नीचा दिखाकर ऊंचा दिखना

यदि किसी ने आपके लंबाई के बारे में कुछ कह दिया तो इस प्रकार जवाब दे सकते हैं कि, आपका व्यवहार बहुत ही अच्छा है और आप इस दुनियां में सभी को अपना परिवार मानते है तभी तो किसकी लंबाई कितनी हैं?, किसका रंग कैसा है? इस बात का पुरा ध्यान रखते हैं, सचमुच आप बहुत ही तेज नजर वाले हैं लेकिन दूसरों पर ध्यान देने के बजाय यदि आप खुद पर ध्यान देने लगते, तो आप जरुर सफल इन्सान बन जाते। इतना सुनते ही वह व्यक्ति जरुर शर्मा जायेगा और उसे अपनी गलती का एहसास होगा और दुबारा कुछ नही कहेगा। 

इस प्रकार, संन्यासी गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य को नीचा दिखाने वाले लोगों से सावधान रहने और उनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए इसका तरीका बताया। संन्यासी गौतम बुद्ध की बातों को सुनकर वह व्यक्ति अपने आप में आत्मविश्वास महसूस कर रहा था और संन्यासी गौतम बुद्ध को धन्यवाद कह कर उनसे वादा किया कि मैं इन तरीकों को अपने जीवन में जरूर अपनाऊंगा।

कहानी से शिक्षा – Motivational Story

इस कहानी से हमें एक महत्वपूर्ण सिख मिलती है: हमें नकारात्मक और नीचा दिखाने वाले लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए। जब हमें किसी ऐसे व्यक्ति का सामना पड़ता है जो हमें नीचा दिखाने का प्रयास करता है, हमें उनकी आलोचना और निंदा करने की बजाय, समझदारी और धैर्य से काम लेना चाहिए। संन्यासी गौतम बुद्ध की कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि नकारात्मकता के प्रति सकारात्मकता रह कर ही हमें जीत मिल सकती है।

हमें अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए और नकारात्मकता के प्रति साहस और स्थिरता दिखानी चाहिए। इसके लिए हमें अपने आप को सही सलाह देने वाले और सकारात्मक लोगों के साथ जुड़ना चाहिए, ताकि हम अपने जीवन में सफलता की दिशा में आगे बढ़ सकें।

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