सरकारी नौकरी का जाल
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आज की कहानी का शीर्षक है “सरकारी नौकरी का जाल ।” आज के युग में सभी युवक सरकारी नौकरी के जाल में फँस रहे है। ये जाल क्या है और आप इस कैसे इसमें फसते जा रहे है हम आपको इस कहानी के माध्यम से बताने जा रहे है।

सरकारी नौकरी का जाल – Motivational Story in Hindi

अजय और विजय नाम के दो दोस्त थे । दोनों ही मिडल क्लास परिवार के थे । दोनों ने अपनी ग्रेजुएशन साथ में पूरी की थी । दोनों ने एक साथ यूपीएससी की परीक्षा के लिए आवेदन कर दिया । दोनों ने अपना पड़ाई का शेड्यूल भी बना लिया था ।

दोनों आपस में बात करने लगे ।
अजय ने कहा- तुम्हें पता है कि अगर हमारी सरकारी नौकरी लग गई, तो हमारी कितनी तनख्वाह होगी ?
विजय ने कहा-
हाँ, लाख रुपए तो होगी और लाल बत्ती वाली गाड़ी भी तो मिलेगी ।
अजय ने कहा- हाँ, और हमारे घर की हालत भी सुधर जायेंगी, सिर्फ एक बार नौकरी मिल जाए । उसके बाद मैं घर के लिए सब कुछ कर सकता हूँ ।

विजय ने कहा- हाँ, तुम ठीक कह रहे हो । मैं भी घर के लिए बहुत कुछ करना चाहता हूंँ । हम दोनों बहुत मेहनत करेंगे और सरकारी नौकरी पा के ही रहेंगे ।

अक्सर दोनों इस तरीके की बातें किया करते थे, दोनों की आँखों में सपने पल रहे थे ।
दोनों घंटों-घंटों बातें करते रहते और समय-समय पर एक-दूसरे कोे जगाते भी, कि बातें करने से कुछ नहीं होगा । नौकरी पानी है तो दिन-रात पढ़ना होगा, मेहनत करनी होगी ।
दोनों ने एक साथ अपने अटेम्प्ट दिए पर दोनों में से किसी का भी सिलेक्शन नहीं हुआ ।
ऐसा करते हुए दोनों को दो साल बीत गए लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हुआ, दोनों हताश हो चुके थे ।

अजय ने कहा- दो बार अटेम्प्ट देने के बाद मैं समझ चुका हूंँ कि मुझसे क्लियर नहीं होगा । मैं कोई नौकरी ढूँढ रहा हूंँ क्योंकि अभी मेरे घर के हालात बिल्कुल भी ठीक नहीं है । मेरे पास और वक्त नहीं है बर्बाद करने के लिए ।
विजय ने कहा- अरे यार! तुम इतनी आसानी से अपना सपना छोड़ दोगे ? छोटी-मोटी नौकरी से तुम्हारा क्या ही होगा ?

अजय बोला- मैं समझ चुका हूंँ विजय! एग्जाम मुझसे क्लियर नहीं होगा, तो मैं क्यों खुद से झूठ बोलूँ । इससे अच्छा है मैं किसी और फील्ड में मेहनत करूँ ।

ऐसा कहकर अजय चला गया । विजय सोचने लगा इसने तो दो साल में ही हार मान ली लेकिन मैं हार नहीं मानूँगा । जब तक एग्जाम क्लियर नहीं हो जाता मैं पेपर देता रहूँगा ।

विजय ने तीन और अटेम्प्ट दिए लेकिन फिर भी क्लियर नहीं कर पाया । उसके दिमाग में आता है वह यह सब छोड़ के कोई नौकरी कर ले, लेकिन फिर वह सोचता कि अगर सरकारी नौकरी लग गई तो फिर इतना पैसा होगा की जिंदगी बड़े आराम से गुजरेगी। नौकरी होगी तभी मनपसंद की लड़की से शादी कर पाउँगा, दहेज़ में बड़ी कार मिलेगी और बहुत सारा पैसा भी। बिना नौकरी के कोई भी दहेज़ नहीं देगा । इस तरह विजय खुदको मोटीवेट कर लेता था ।

अजय ने इन तीन सालों में नया काम सीख लिया और वही करने लगा। इस बीच उसने विवाह भी कर लिया । वह अपनी जिंदगी में खुश था ।

विजय यूँ ही अटेम्प्ट देता रहा और उसके जीवन के कीमती साल यूँ ही गुजरते रहे । कुल मिलाकर उसने आठ बार प्रयास किया था, लेकिन हर बार वह विफल रहता ।
अब उसके सब्र का बाँध टूटने लगा था । वह बहुत ज्यादा निराश हो गया था । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अपनी जिंदगी को कैसे संभाले । सब लोग उससे आकर पूछते थे- क्या तुम्हारा एग्जाम क्लियर हुआ ? और वह हर बार ना कहता । उसे शर्म भी आने लगी थी इसके कारण वह चिड़चिड़ा-सा हो गया था । उसके मन में आत्म हत्या के विचार आने लगे ।

ऐसे वक्त पर उसे अपने दोस्त अजय की याद आई । उसने उसे मिलने के लिए बुलाया ।
विजय ने कहा- मैं बहुत निराशा महसूस कर रहा हूँ इसलिए मैंने तुम्हें बुलाया, अपना दिल हल्का करने के लिए ।
अजय ने कहा- हाँ, दोस्त होते ही किसलिए है ! मैं समझ सकता हूंँ, यह वक्त तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है ।
विजय ने कहा- तुमने बिलकुल ठीक किया, सही टाइम पर तुम समझ गए कि इसमें समय देने से अच्छा है कोई नया काम सीख लो । तुमने दूसरी जगह ट्राई किया और आज तुम अपनी जिंदगी में खुश हो ।

अजय ने कहा- देखो, विजय मैं भी तुम्हारी तरह सरकारी नौकरी पाना चाहता था, बड़ा आदमी बनना चाहता था लेकिन वक़्त रहते मैं समझ गया । पता नहीं हमारे दिमाग में यह धारणा क्यूँ है कि अगर हम सरकारी नौकरी करेंगे तभी हम कामयाब कहलाएंगे । मैंने वक्त रहते अपने लिए सही फैसला लिया और तुम भी अब समझ जाओ, इसको छोड़कर किसी और फील्ड में जाओ ।

विजय ने कहा – “तुम ठीक कह रहे हो । मुझमें भी औरों की तरह पैसों का लालच था कि नौकरी होगी तो दहेज मिलेगा, मान सम्मान मिलेगा । मेरी इसी सोच ने आज मेरी जिंदगी को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है ।”

अजय ने कहा – अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा तुम नई शुरूआत कर सकते हो। इस शुरुआत में, मैं भी तुम्हारा साथ दे दूँगा ।

अजय की बातों का विजय पर काफी कम असर हो पाया और कुछ दिनों बाद विजय ने आत्म हत्या कर ली । अजय को जब इस बात का पता चला तो वो काफी दुखी हुआ ।

विजय नौकरी के जाल से खुदको बहार नहीं निकाल सका लेकिन आप अपने आप को इस जाल से बाहर निकाल सकते हो । ये बात आपको समझनी पड़ेगी की बढ़ती जनसंख्या के कारण सबको नौकरी मिल पाना सम्भव नही है । आपको बैकअप के तौर पर एक Skill सीखना जरूरी है ताकि यदि आपको नौकरी भी न मिली तो ये Skill आपकी पहचान बन सके । नौकरी की तैयारी करना गलत नहीं है, लेकिन जीवन अनमोल है! सिर्फ नौकरी न मिलने की बात पर इसे खत्म न करें।

उम्मीद करते है आपको हमारी Motivational Story in Hindi“सरकारी नौकरी का जाल” पसन्द आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


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