मदद सिर्फ पैसे से नहीं होती – Emotional story in Hindi

मदद सिर्फ पैसे से नहीं होती
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आज के समय में सभी लोग पैसे कमाने की दौड़ में भागते जा रहे हैं। इनमें से कुछ लोग दूसरों की मदद तो करना चाहते हैं लेकिन वें सोचते हैं की जब तक हमारी खुदकी स्तिथि सही नहीं हो जाती तब तक दूसरों की मदद नहीं की जा सकती। पर मैं उनसे एक बात कहना चाहता हूँ, परिस्तिथि चाहें जैसी भी हो, चाहे आप अमीर हो या गरीब, अगर आप किसी की मदद करना चाहते हैं तो मदद सिर्फ पैसे से नहीं होती। लोगों की मदद करने के बहुत से रास्ते हैं और वो रास्ते आपको तब दिखाई देते हैं जब आपके व्यक्तित्व में ताकत होती हैं।

व्यक्ति का अच्छा स्वभाव और उसका विशेष गुण ही व्यक्ति का व्यक्तित्व होता हैं। जो लोग हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते हैं असल में उन्हीं के व्यक्तित्व में ताकत होती है । हर कोई अपने लिए मेहनत तो कर ही लेता है, लेकिन जो दूसरों के लिए सद्भावना रखता है उसी का व्यक्तित्व निखरता है । शुरू करते हैं आज की Emotional story in Hindi “मदद सिर्फ पैसे से नहीं होती”

मदद सिर्फ पैसे से नहीं होती – Emotional story in Hindi

एक पचास साल की औरत थी । जो लंबे समय से ऑफिस में नौकरी कर रही थी । वह परिवार को पालने के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना करती थी । उसकी उम्र हो गई थी और अब उसके पैरों में दर्द रहा करता था । लेकिन उसे इस दर्द के साथ ही काम करना पड़ता था । एक दिन वह एक बस स्टॉप पर बैठकर, बस का इंतजार कर रही थी । बस आई, वह बड़ी हड़बड़ी के साथ उठी और उसने बड़ी मुश्किल से बस की सीढ़ी चढ़ी ।

बस के अंदर चढ़ी तो, उसने देखा कि बस की सीटें भरी हुई है । तभी एक मज़दूर महिला उठी और उस औरत को सीट पर बैठने को कहा, औरत के पैर में दर्द था, इसलिए वह तुरंत ही सीट पर बैठ गई ।

औरत बोली- धन्यवाद! तुमने सीट दी।
मज़दूर महिला बोली- मैंने आपको देखा था । आप बस की सीढ़ी से बड़ी मुश्किल से चढ़ रही थी । मैं समझ गई थी, आपके पैरों में दर्द है इसलिए मुझसे ज्यादा आपको इस सीट की जरूरत थी ।
उस मज़दूर महिला की बात सुनकर वह औरत हल्के से मुस्कुराई ।

औरत के बगल वाली सीट पर एक व्यक्ति बैठा था । जिसका स्टॉप आ गया था और उसकी सीट खाली हो गई थी । उस औरत ने मज़दूर महिला को उस सीट पर बैठने को कहा, तभी एक बुजुर्ग पास में खड़े थे, जो कि करीब अस्सी साल के होंगे ।
मज़दूर महिला ने उस खाली सीट पर बुजुर्ग को बैठने को कहा ।

बुजुर्ग बैठ गए और वह मज़दूर महिला खड़ी रही । उसके बाद उस बुजुर्ग का भी स्टॉप आ गया है । जैसे ही वह स्टॉप पर उतरने के लिए सीट से उठे । मज़दूर महिला ने देखा कि एक औरत अपनी छोटी बच्ची के साथ खड़ी हुई है । अब मज़दूर महिला ने उसे सीट पर बैठने को कहती है । अब, बस स्टॉप आने ही वाला होता है कि बस में ज्यादातर लोग उतर जाते हैं और सीट खाली हो जाती हैं। तब वह औरत, मज़दूर महिला को देखकर कहती है अब तो बैठ जाओ ।

औरत की बात सुनकर वह मज़दूर महिला बगल वाली सीट पर बैठ जाती है ।
औरत बोली- तुम कब से खड़ी हो ! जो भी आ रहा है उसको सीट दे रही हो, खुद क्यों नहीं बैठती ?
मज़दूर महिला बोली- मैडम! मुझसे ज्यादा उन लोगों को सीट की जरूरत थी ।

औरत बोली- तुम हो तो साधारण-सी, पर तुम्हारी सोच में कितनी ताकत है । जो तुमने किया है आज के वक़्त लोग उसे बेफकूफी कहेंगे ।

मज़दूर महिला बोली- मैंने यह सब लोगों के लिए या दिखावे के लिए नहीं किया । मुझे करना था इसलिए किया । हम गरीब लोग पैसों से किसी की मदद नहीं कर सकते, लेकिन जो हम अपने आस-पास देखते हैं उसको देखकर जितना हमसे होता है उतना हम करते हैं । मदद करने से हमारे अंदर ही कुछ बदल जाता है ।

उस मज़दूर महिला की बात सुनकर वह औरत सोचने लगी, यह मजदूर है फिर भी इसके व्यक्तित्व में कितनी ताकत है इसके अंदर गरीबों-सी झुंझलाहट नहीं है।
औरत बोली- एक बात कहूँ । तुम्हारे व्यक्तित्व में बहुत ताकत है, तुम्हारे पास यह ताकत कैसे आई? ना तुम अमीर हो और ना ही तुम्हारे पास कुछ है ।

मज़दूर महिला बोली- मैडम! मेरी मेहनत ही मेरी ताकत है । मैं और आप एक से ही है । आपसे जो बन पड़ता है वह आप अपने परिवार के लिए करती है, मुझसे जो बन पड़ता है, मैं अपने परिवार के लिए करती हूंँ । और अपनों के लिए कुछ करना ही मेरी ताकत है । जो है उससे आगे बढ़ाने की लगातार कोशिश, यही तो आपके व्यक्तित्व को बेहतर बनाता है ।

उस मज़दूर महिला की बात सुनकर वह औरत बहुत प्रभावित हुई और उसे खुद पर गर्व महसूस हुआ कि वह इतनी उम्र की हो गई है लेकिन फिर भी अपने परिवार के लिए इतनी मेहनत कर रही है। साथ ही साथ मज़दूर महिला से उसे यह भी सीखने को मिला कि दूसरों की मदद और अपने काम में निरंतर मेहनत करने से इंसान अपना एक ऐसा व्यक्तित्व बना लेता है जिसमें वह अपनी कमजोरी पीछे छोड़ देता है । और उसके भीतर एक अलग ही आत्मविश्वास पैदा हो जाता है ।
इस तरह लास्ट स्टॉप आ गया और वह दोनों बस से उतरकर अपने-अपने काम पर चली गई ।

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती कि दूसरों की मदद करने के लिए पैसे होना जरूरी नहीं बल्कि आपके व्यक्तित्व का होना जरूरी हैं। व्यक्तित्व एक बहुत ही आंतरिक चीज होती है जिसका निर्माण हमेशा निश्छल मन से होता है इसीलिए हमेशा उन दिखावो से दूर रहे, जो आपको आकर्षित तो भले ही कर सकता है लेकिन आपके अंदर की आंतरिक खूबसूरती को नहीं बढ़ा सकता । इसलिए लोगों की मदद और अपना काम इमानदारी से करते रहो ।

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