सदैव प्रसन्न कैसे रहें? How to be happy always?
साक्षी एक बहुत बढ़िया कंपनी में मैनेजर के रूप में काम करती है। वह हमेशा से ही होशियार थी इसलिए उसे कभी भी विफलता हाथ नहीं लगी। साक्षी के पास सब कुछ है। उसे अपने जीवन में कभी भी किसी चीज़ की कोई कमी महसूस नहीं हुई। शादी से पहले उसके माता पिता उसकी हर जरूरतों का ख्याल रखते थे। और फिर शादी के बाद उसके पति का प्यार भी उसे मिला। लेकिन फिर भी क्या कमी थी कि साक्षी अब भी खुश नहीं थी।
दरअसल बात यह थी कि उसकी ही एक साथी का कंपनी में प्रमोशन हो गया था। उसकी साथी कंपनी डायरेक्टर की पोजीशन पर आ गई थी। अब यही चिंता उसे दिन रात खाए जा रही थी। हम में से कितने ही साक्षी होते होंगे जो जीवन में निरंतर कुछ ना कुछ पाने की उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं। लेकिन क्या सही मायने में यह सब हमें खुशी देते हैं? जरा सोचकर कर देखें।
खुशी और प्रसन्नता में अंतर
साक्षी के इस उदाहरण से हम समझ सकते हैं कि किसी भी चीज का कोई अंत नहीं होता। हम एक चीज पाने की खुशी मनाते हैं। तो अगले ही पल हम दूसरी अन्य चीज को पाने के प्रयास में जुट जाते हैं। हम सोचते हैं कि संसार की सभी प्रकार की वस्तओं को प्राप्त करके ही हम खुश रह सकते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हम इन चीजों को पाकर खुशियां तो प्राप्त कर लेते हैं लेकिन क्या हमें प्रसन्नता की प्राप्ति होती है? खुशी एक ऐसी भावना है जो कि क्षणभंगुर है।
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उदाहरण के लिए मानो आज हम सोचते हैं कि आज हम एक शानदार कार लेंगे। तो दूसरी ही पल कार पाने के बाद हम सोचते हैं कि काश अब हम बंगला भी खरीद लें तो हमारी खुशियां दोगुनी हो जाएगी। और खुशी की लालसा हर दिन बढ़ती ही जाती है। तो वहीं दूसरी और प्रसन्नता खुशी से थोड़ी से अलग है। प्रसन्नता का भाव गोते नहीं खाता बल्कि वह एक समान ही रहता है। प्रसन्न व्यक्ति हर घड़ी में संतुष्ट रहते हैं। उनको सांसारिक चीजों की लालसा नहीं होती। वह संसार की हर एक चीज़ में सुख देखते हैं। ऐसे लोग सदैव ही खुश रहते हैं।
सदैव प्रसन्न कैसे रहें?
1. प्रसन्न रहने के स्त्रोत्र खोजे
हर पल खुश रहने के लिए यह बहुत जरूरी होता है कि आप प्रसन्न रहने के अवसर तलाशें। जैसे उदाहरण के तौर पर किसी को हरियाली में जाकर प्रसन्नता प्राप्त होती है। तो किसी के लिए धीमा संगीत सुनना प्रसन्नता का स्त्रोत्र होता है। हर किसी को अलग अलग तरीकों से प्रसन्नता मिलती है।
2. किसी के प्रति घृणा ना रखें
किसी के प्रति नफरत की भावना रखना अच्छी बात नहीं होती है। घृणा रखने से हमारा ही नाश होता है। ऐसे में हमारी प्रगति नहीं हो सकती है। इसलिए कहते हैं कि हमको दूसरों के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखना चाहिए। जब हम सारे संसार से प्रेम करने लगेंगे तो प्रकृति हमारी झोली आनंद से भर देगी।
3. प्रकृति को धन्यवाद
आप आज स्वस्थ जागे हो और सही से सांस ले रहे हो तो इसका सारा श्रेय जाता है प्रकृति को। प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है। आज समस्त संसार प्रकृति के भरोसे ही चल रहा है। इसलिए हमें हर दिन प्रकृति को धन्यवाद देना चाहिए। ऐसा करने पर हम हर पल प्रसन्न रहते हैं।
4. सदैव मुस्कुराना अच्छी बात है
आपने अक्सर यह देखा होगा कि जब हम एक उदास व्यक्ति के पास बैठते हैं तो हमारा भी मूड उदासीन हो जाता है। ऐसे में हमें भी कुछ अच्छा नहीं लगता। और जैसे ही हम एक सकारात्मक और लंबी मुस्कान वाले व्यक्ति के पास जाकर बैठते हैं तो हमारा दिमाग बहुत अच्छा महसूस करता है। बस यही चीज हमें भी अमल करनी चाहिए। हमें हर पल मुस्कान बिखेरनी चाहिए।
5. किसी भी चीज के लिए पछतावा कभी भी ना रखें
जो जीवन में पुरानी बीती चीजों के लिए पछतावा रखता है वह कभी भी आगे नहीं बढ़ पाता है। ऐसा इंसान अतीत के पिंजरे में बंद हो जाता है। आपने यह चीज हासिल नहीं की। आपने वो चीज हासिल नहीं की। आप किन किन चीजों के लिए ताउम्र पछतावा करते रहोगे। यह सब आपका सुख और चैन छीन लेंगे। इसलिए अगर प्रसन्नता चाहिए तो पछतावे को त्याग दो।
6. दूसरों से तुलना करना छोड़कर देखिए
हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि दूसरों से तुलना कभी भी अच्छी नहीं होती है। दूसरों से तुलना करके हम अपने शरीर को ही कष्ट पहुंचाते हैं। हम बंगले में रह रहे इंसान को देखकर खुद की झोपड़ी को तुच्छ नहीं समझ सकते हैं। दूसरों से तुलना करना हमारे मन के सुख और चैन को छीनता है।
7. हमेशा मदद के लिए तत्पर रहें
किसी जरूरतमंद की मदद करने से कोई दूसरा अच्छा कार्य हो ही नहीं सकता है। दूसरों की मदद करके हम खुद भी बहुत अच्छा महसूस करते हैं। आप छोटे छोटे प्रयत्नों से भी दूसरों की मदद कर सकते हैं।
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