एक माँ की कहानी || Inspirational Story in Hindi

आज की कहानी “एक माँ की कहानी है ।” जीवन में सबसे पहले जिसने हमसे प्यार किया है वह हमारी माँ होती है । इसलिए अपनी माँ को हमें कभी-भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए । बचपन में माँ की जिम्मेदारी हम होते है, वैसे ही जवानी में हमारी जिम्मेदारी हमारी माँ होनी चाहिए ।
एक माँ की कहानी || Inspirational Story in Hindi
एक व्यक्ति था, जिसके पास धन-संपत्ति सब कुछ थी । उसकी एक पत्नी, एक बेटा और एक माँ थी । उसकी माँ की एक आँख नहीं थी और उनकी कमर झुकी हुई थी । उनकी यह हालत देखकर बेटे को हमेशा कष्ट होता था ।
वह अपनी माँ से बहुत प्रेम करता था । लेकिन उसकी पत्नी उसकी माँ को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी । वह हमेशा सोचती थी कि कब तक मुझे उनकी सेवा करनी पड़ेगी । उसका बेटा भी अपनी दादी को पसंद नहीं करता था । वह हमेशा अपनी दादी का मजाक उड़ाया करता था । यह सब देखकर उस व्यक्ति को अपनी माँ के लिए बहुत दुख होता था । लेकिन वह यह सोचकर कभी-भी किसी से कुछ बोल नहीं पता था, कि घर में कलेश ना हो ।
माँ ने यह महसूस कर लिया था कि कोई नहीं चाहता कि वह अब इस घर में रहे । इसलिए उन्होंने अपने बेटे-बहु को बुलाया और कहा- बेटा, अब मैं यहाँ रहना नहीं चाहती, तुम मुझे अपने मामा के पास गाँव में छोड़ आओ ।
बेटा बोला- नहीं माँ, आप इस घर को छोड़कर कहीं नहीं जाओगी ।
माँ बोली- नहीं बेटा! मुझे लगता है, मैं तुम लोगों पर बोझ बन गई हूँ, इसलिए तुम मुझे यहाँ से जाने दो ।
मौका पाकर पत्नी ने माँ की हाँ में हाँ मिलाई ।
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पत्नी बोली- अरे! अगर माँ जी की इच्छा है, तो क्यों इन्हें आप रोक रहे हो । अगर वह यहाँ रहना नहीं चाहती तो, यह उनकी अपनी मर्जी है । आप इन्हें जाने दीजिए ।
बेटा, माँ को अपने मामा के यहाँ छोड़ आया । कुछ ही दिनों बाद माँ की तबीयत अचानक से बिगड़ गई । तब उस व्यक्ति के चाचा उसकी माँ को देखने आए । जब उन्हें पता चला कि उनके बेटे ने उन्हें यहाँ छोड़ दिया है, तो उन्हें बहुत क्रोध आया । वह क्रोध में आग बबूला होकर उस व्यक्ति के घर गए ।
उस व्यक्ति के घर पहुँचकर चाचा बोले- तुम लोग कितने कठोर लोग हो, जो अपनी माँ को कहीं और छोड़ कर आ गए हो ।
व्यक्ति बोला- चाचा जी, हमने तो माँ को मामा जी के यहाँ छोड़ा है । माँ की इच्छा थी कि वह वही रहे ।
चाचा जी बोले- माँ की इच्छा थी, या तुम लोगों की इच्छा थी ।
ऐसा सुनकर उस व्यक्ति ने अपना सर नीचे झुका लिया ।
चाचा जी कुछ भावुक हो गए और फिर बोले- तुम्हें पता है तुम्हारी माँ ने कितने कष्ट सहे हैं, तुम्हें पालने के लिए । तुम्हें बड़ा आदमी बनने के लिए, आज तुम उसी माँ को खुद से दूर कर रहे हो ।
मैं तुम्हें एक बात बताता हूंँ । जो तुम्हें नहीं पता, जब तुम दो साल के थे, तब तुम सीढ़ियों से गिर गए थे और तुम्हारी कमर की हड्डी टूट गई थी और एक आँख खराब हो गई थी । तब तुम्हारी माँ ने अपना बोन मैरो और अपनी एक आंख तुम्हें दी थी । और इसी कारण तुम आज जीवन में इतना कुछ कर पाए हो ।
यह बात सुनते ही उस व्यक्ति की आंखों से आँसू टपकने लगे । उसके भीतर आत्मग्लानि उत्पन्न हो गई । यह घटना सुनकर पत्नी की आंखों में भी आँसू आ गए । उसने हाथ जोड़कर अपने पति और चाचा जी से माफी मांगी । और कहने लगी- मुझे माफ कर दीजिए चाचा जी मैं एक माँ होकर भी एक माँ का दर्द नहीं समझ सकी। अब मैं माँ जी को खुद से एक पल भी दूर नहीं रखूंगी ।
दोनों जाकर अपनी माँ को घर लेकर आए और सच्चे मन से उनकी सेवा करने लगे ।
यह कहानी हमें यह सिखाने का प्रयास कर रही है कि हमें हमेशा मां-बाप की सेवा करनी चाहिए । बचपन से बड़े होने तक वह ना जाने हमारे लिए कौन-कौन से त्याग करते हैं, लेकिन बड़े होते ही हम उनके त्याग को भूल जाते हैं । मां बाप हमारा आधार है यदि हमने उनको कष्ट पहुँचाया तो हम भी कभी खुश नहीं रह सकते इसलिए हमें निस्वार्थ भाव से अपने मां-बाप की सेवा करनी चाहिए ।
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