एक बिजनेसमैन और नाव वाले की कहानी – Motivational Story in Hindi

एक बिजनेसमैन और नाव वाले की कहानी
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आज की कहानी का शीर्षक है “एक बिजनेसमैन और नाव वाले की कहानी ।” जीवन में किसी भी चीज को कम महत्व नहीं देना चाहिए क्योंकि क्या पता कब, कहाँ, कौन-सी चीज आपके काम आ जाए ।

एक बिजनेसमैन और नाव वाले की कहानी – Motivational Story in Hindi

एक समय की बात है। एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन कार में बैठकर, एक गाँव की तरफ जा रहा था । उसे गाँव के अंदर एक फैक्ट्री डालनी थी । वह अपनी गाड़ी रोकता है तो सामने ही गाँव होता है, लेकिन समस्या यह होती है कि गाँव और उसके बीच एक बहुत बड़ी नदी होती है ।

बिजनेसमैन के पास सिर्फ दो ही रास्ते होते हैं या तो वह आठ घंटे का लंबा रास्ता तय करके, सड़क से गाँव पहुँचे या नदी के रास्ते से आधे घंटे में ही पहुँच जाए ।
उसे नदी के किनारे खड़ी हुई एक नाव दिखती है, जिस पर एक नाववाला बैठा होता है।

बिजनेसमैन ने नाववाले वाले से पूछा- अरे ! नाववाले ,क्या तु मुझे नदी के उस तरफ छोड़ देगा ?

नाववाला बोला- हाँ साहब क्यों नहीं, आप आराम से बैठ जाइए ।

बिजनेसमैन, नाववाले के साथ उस नाव पर बैठ गया और थोड़ी देर बैठने के बाद ।
बिजनेसमैन ने पूछा- तु मुझे जानता है ? मैं कौन हूंँ ?
नाववाला बोला-
नहीं, साहब मैं तो आपको नहीं जानता ।

बिजनेसमैन बोला- मैं बहुत बड़ा बिजनेसमैन हूंँ और आए दिन मेरी तस्वीरें अखबारों में छपती रहती है । दुनिया में हर तरफ मेरा कारोबार फैला हैं । तु मुझे नहीं जानता!!! क्या तू अखबार नहीं पढ़ता ?

नाववाला बोला- बचपन में ही मेरे माता-पिता मुझे छोड़ कर चले गए थे, उसके बाद मैं यहाँ-वहाँ भटककर थोड़ा बहुत काम करने लगा इसलिए मैं कभी पढ़ाई कर ही नहीं पाया ।
बिजनेसमैन बोला- तुझे पढ़ना-लिखना भी नहीं आता । कैसी जिंदगी जी रहा है तु? तेरी जिंदगी का क्या ही फायदा !!!

नाववाले को बिजनेसमैन की यह बात बुरी लगी लेकिन उसने कुछ नहीं कहा चुपचाप नाव चलाता रहा ।
बिजनेसमैन बोला- यह जो तू सामने जगह देख रहा है ना, यहाँ पर मैं एक वाटर बोतल की फैक्ट्री बनाने वाला हूँ ।

नाववाले को बिजनेसमैन की यह बात समझ नहीं आई
नाववाला बोला- क्या बनेगा साहब ! मुझे समझ नहीं आया ।

बिजनेसमैन बोला- पानी की बोतले बनेगी, अब आया तुझे समझ । गाँव के लोग तो बोतलो में पानी नहीं पीते, लेकिन शहरों में यह बोतल बहुत बिकती है ।

नाववाला बोला- हाँ साहब बिकती होगी, मैं तो कभी इस गाँव से बाहर ही नहीं गया ।
यह सुनकर बिजनेसमैन हँसते हुए बोला- तू कभी इस गाँव से बाहर ही नहीं गया । शहर देखा ही नहीं, क्या ही जिंदगी है तेरी!!!

बिजनेसमैन की ऐसी बातें सुनकर नाववाले का ध्यान हटने लगा और नाव एक पत्थर पर जाकर टकरा गई । नाव का संतुलन बिगड़ गया और नाव धीरे-धीरे डगमगाने लगी ।

बिजनेसमैन डरते हुए बोला- अरे ! यह क्या हो रहा है?
नाववाला बोला- साहब, आपको तैरना आता है ना ?
बिजनेसमैन बोला-
नहीं, मुझे तैरना तो नहीं आता ।
नाववाला बोला- क्या साहब आपको तैरना नहीं आता??? क्या जिंदगी हैं आपकी !!!

यह सुनकर बिजनेसमैन की आंखें नीचे झुक गई । वह बोला-मुझे माफ कर दो मैंने तुम्हें छोटा समझा । हमारे पास अब और वक़्त नहीं है जल्दी कुछ करो ताकि हम बच सके ।
नाववाला बोला- आप फिक्र मत करो, मुझे तैरना आता है हम दोनों सुरक्षित तरीके से निकल जाएंगे ।

नाववाले ने बिजनेसमैन को लेकर पानी में छालांग लगा दी और तैरते हुए वह किनारे पर पहुँच गए ।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि हमें किसी भी व्यक्ति को छोटा नहीं समझना चाहिए । क्योंकि वक्त आने पर कौन किसके काम आ जाए, यह किसी को नहीं पता ।
उदाहरण के लिए :- जब आप सुबह घर से काम के लिए निकलते हैं तब आप ऑटो, रिक्शा बस इत्यादि का इस्तेमाल करते हैं । यह सब हमे अपनी मंजिल तक पहुँचाने में मदद ही कर रहे हैं । इसलिए पैसें, पढ़ाई-लिखाई या रुतबे को आधार बनाकर कभी भी किसी को नीचा महसूस नहीं करना चाहिए । यह पूरा समाज एक-दूसरे के सहयोग से बना हैं और हमे सबके सहयोग की इज्जत करना आना चाहिए ।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी Motivational Story in Hindi “एक बिजनेसमैन और नाव वाले की कहानी” पसंद आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


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