असम्भव कुछ भी नहीं – Best Motivational Story in Hindi
आज की कहानी का शीर्षक हैं “असम्भव कुछ भी नहीं “ जब हम छोटे होते हैं तो हम चलना, बोलना अपने आप ही सीख लेते हैं । क्योंकि हमारे भीतर यह डर नहीं होता, कि हम यह काम कर सकते हैं या नहीं । आज हम ऐसी ही एक कहानी ले कर आये है , जिसमें एक छोटे बच्चे ने एक अद्भुत कार्य को कर के दिखाया ।
असम्भव कुछ भी नहीं – Best Motivational Story in Hindi
एक गाँव में दो दोस्त रहते थे, सूरज और ललित । सूरज की उम्र छः साल की थी, तो ललित दस साल का था । दोनों जिगरी दोस्त थे, वह हमेशा साथ-साथ खेलते, पढ़ते, लगभग उनका सारा काम साथ में ही होता था । दोनों में बहुत प्रेम था और दोनों एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार थे ।
एक समय की बात है दोनों खेलते-खेलते अपने घर से दूर पहुँच गए । वहाँ एक कुआँ था, दोनों कुएँ के मुंडेर पर बैठे हुए थे और एक दूसरे से मजाक-मस्ती कर रहे थे, तभी दोनों कुएँ के मुंडेर पर खड़े हो गए और एक-दूसरे को खेल-खेल में मारने लगे । तभी ललित का पाँव फिसला और वह कुएँ में गिर गया, उसको गिरता हुआ देखकर सूरज बहुत डर गया ।
वह कुएँ से नीचे उतर गया और ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ लगाने लगा, लेकिन उस वक्त उधर कोई नहीं था । उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करें । कुएँ के बगल में एक रस्सी से बंधी हुई बाल्टी रखी थी । उसने जब यह महसूस किया कि अगर उसने जरा भी देरी की, तो उसका दोस्त मर जाएगा । ऐसा सोचकर उसने और एक पल का भी इंतजार नहीं किया ।
उसने बाल्टी को कुएँ के अंदर डाला और उसके अंदर जितनी ताकत थी वह लगा दी । कुएँ के अंदर ललित ने बाल्टी की रस्सी को अपने हाथ में पकड़ लिया ।
सूरज के पास जितना जोर था उसने लगा दिया और वह ललित को बाहर निकालने में कामयाब हो गया । जैसे ही ललित बाहर निकला, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगा लिया । फिर दोनों अपने घर की ओर चले ।
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दोनों की खराब हालत देखकर, दोनों के घरवालों ने पूछा- यह क्या हालत बना रखी है?
दोनों ने अपने-अपने घरों में पूरी घटना बता दी । लेकिन किसी ने उनकी बात पर यकीन नहीं किया क्योंकि वह सब यह सोच रहे थे कि यह तो संभव ही नहीं है कि एक छः साल का बच्चा दस साल के बच्चे को खींचकर कुएँ से बाहर निकाल सकता है ।
धीरे-धीरे बच्चे अपनी बातें सबको बताने लगे, लेकिन हर कोई उनकी बातों को हँस कर डाल देता था ।
वहाँ पर एक बुजुर्ग भी थे । बच्चों के अंदर सच्चाई देखकर वह कहने लगे। हाँ बच्चे सही कह रहे हैं जरूर सूरज ने ललित को कुएँ से खींचकर उसकी जान बचाई होगी ।
गाँव में बैठे हुए एक व्यक्ति ने बुजुर्ग से बोला- अरे ! चाचा, आप क्यों इन बच्चों की बात पर यकीन कर रहे हो, यह बच्चे हैं यह तो कुछ भी बोलते हैं ।
बुजुर्ग व्यक्ति बोले- क्यों, बच्चों की बात में सच्चाई क्यों नहीं हो सकती ?
व्यक्ति बोला- आप खुद ही सोचो, एक छः साल का बच्चा दस साल के बच्चे को कैसे कुएँ से खींचकर बाहर निकाल सकता है ?
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बुजुर्ग व्यक्ति बोले- ललित को सूरज कुएँ से बाहर निकाल पाया क्योंकि सूरज को ये बताने वाला कोई नही था की ये असम्भव है!! हमारे बड़े होने पर लोग हमें हर तरह का काम करने से रोकते टोकते है, ये कहकर कि ये तुझसे नही होगा। और फिर हम सचमें मान लेते है की ये मुझसे नही होगा। लेकिन उस वक्त बच्चे को पता ही नही था की क्या सम्भव है और क्या नहीं। उसे सिर्फ अपने दोस्त की जान बचानी थी। वही उसका एक मात्र लक्ष्य था इसलिए वो अपने दोस्त की जान बचाने में कामयाब हो पाया। सच बात तो ये है कि बच्चों के लिए असम्भव कुछ भी नहीं ।
व्यक्ति को चाचा की यह बात बहुत सही लगी वह कहने लगा- चाचा, इतनी गहरी बात तो हमने कभी सोची ही नहीं ।
धीरे-धीरे सभी लोगों को यकीन हो गया कि सूरज ने हीं ललित की जान बचाई है ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यह दुनिया ही हमें बताती है कि हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं । हर व्यक्ति कोई भी बड़ा काम कर सकता है अगर उसके अंदर कोई यह बात डालने वाला ना हो कि तुमसे नहीं होगा, तुम नहीं कर सकते । ऐसी बाते ही व्यक्ति के आत्मबल तो तोड़ देती है ।
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