सफलता पाने के लिए असफलता से न डरें | बेहतरीन प्रेरणादायक कहानी | Motivational Story for Students

सफलता पाने के लिए असफलता से न डरें
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आजकल के भागदौड़ भरी जिन्दगी में हर व्यक्ति एक बेहतर जिन्दगी की तलाश कर रहा हैं लेकिन उनमें से कुछ ही लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाते हैं, जबकि ज्यादातर लोग अपने लक्ष्य तक पहुंच ही नही पाते हैं। हम जब भी लक्ष्य की ओर अपना कदम बढ़ाते हैं तो हमारे मन में तरह-तरह के विचार उठने लगते हैं जैसे कि मैं यह हासिल कर पाऊंगा या नही, इसमें तो बहुत समय लगेगा और मेरे पास तो इतना समय ही नहीं हैं। अगर मैं असफल हो गया तो लोग क्या कहेंगे।

तो आइए एक कहानी के माध्यम से समझते हैं कैसे अपने असफलता के डर को खत्म किया जा सकता हैं, और हमारे मन में ये असफलता का डर क्यों होता हैं?

सफलता पाने के लिए असफलता से न डरें – Motivational Kahani in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक बौद्ध सन्यासी एक जंगल के पास अपनी कुटिया बना के रहा करते थे। वे बौद्ध सन्यासी बहुत ही बुद्धिमान थे। कोई भी व्यक्ति उनके पास कोई समस्या ले कर आता वह बहुत ही बुद्धिमानी से उस समस्या का समाधान निकाल देते थे।

एक दिन वह पास के गांव में भिक्षा मांगने के लिए गए थे और भिक्षा मांग कर वापस लौट रहे थे रास्ते में उन्हें एक व्यक्ति ने रोक लिया।

उस व्यक्ति ने बोला- मैंने सुना है आप बहुत ही बुद्धिमानी से किसी भी समस्या का समाधान कर देते हैं। लेकिन, मुझे तो इस बात पर जरा सा भी विश्वास नहीं है।

अगर आप सच में सभी समस्यायों का समाधान कर देते हैं तो क्या आप मेरे इस जटिल समस्या को सुलझा पायेंगे। मैंने लोगों से आपके बहुत से बुद्धिमानी के किस्से सुन रखे हैं इसलिए मैं आपसे एक बात जानना चाह रहा हूं की हमें किसी भी काम में असफलता की घबराहट क्यों होती हैं? और हम अपने किसी भी लक्ष्य को बिना असफलता के घबराहट के कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

उस व्यक्ति की इस बात को सुन बौद्ध सन्यासी मुस्कुराए और बोले, “मैं तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर जरुर दूंगा और उसके बाद से तुम्हारी सारी घरबराहट भी दूर हो जायेगी, लेकिन इससे पहले तुम्हे मेरी कुटिया तक चलना होंगा।”

वह व्यक्ति उस भिक्षु के बुद्धिमता को परखना चाहता था इसलिए वह कुटिया तक जाने के लिए तैयार हो गया। उसके बाद वह बौद्ध सन्यासी उस व्यक्ति को जंगल में बने अपने कुटिया तक लाएं लेकिन तब तक शाम हो चुकी थी वो भोजन करके सो गए जब वह अगले दिन उठें तब बौद्ध सन्यासी ने उस व्यक्ति से कहा चलो आज तुम्हें मैं जंगल की सैर करा के लाता हूं और वो दोनो जंगल की तरफ निकल पड़े।

कुछ समय बाद बौद्ध सन्यासी ने उस व्यक्ति को एक गुफा दिखाई और कहा चलो मैं इस गुफा की तुम्हे सैर करता हुं।

लड़के ने कहा- हां, चलिए मुझे भी जंगल के इस गुफा को देखने की काफी दिनों से चाहत थी।

उसके बाद दोनों गुफा के अंदर चले गए गुफा के अंदर काफी अंधेरा था लेकिन कुछ समय बाद चुपके से बौद्ध सन्यासी गुफा से बाहर आ गए और उस गुफा के द्वार को बाहर से बंद कर दिया।

उस लड़के ने गुफा के भीतर से बहुत आवाज दी, “हे मुनीवर, हे मुनीवर आप कहां चले गए? आप मुझे जवाब क्यों नही दे रहे हैं?” बहुत देर तक कोई ज़बाब नही मिलने पर वह घरबारा गया। घबरा कर गुफा के द्वार की तरफ भागा जैसे ही गुफा के प्रवेश द्वार पर पहुंचा हैरान रह गया, यहा तो किसी ने गुफा के द्वार को बंद कर दिया है अब मैं बाहर कैसे निकलूंगा?

वह अकेले-अकेले उस गुफा में काफी भयभीत हो गया और सोचने लगा की कही उस संन्यासी ने मुझे मारने की योजना तो नही बनाई थी और वह गुफा में इधर-उधर घूम कर बाहर निकलने का रास्ता ढूढने लगा।

वह गुफा में काफी देर तक इधर-उधर भटकता रहा लेकिन उसे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला। साथ ही अब उसे जोरों की भूख और प्यास भी लग रही थी इसलिए वह शांत हो कर एक जगह बैठ गया।

तभी एक सुरंग से उसे सूर्य की रोशनी आती हुई दिखाई दी पर उस रोशनी आ रही सुरंग तक पहुंचना बहुत ही कठिन था। उस सुरंग के चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था और वह काफ़ी ऊंचाई पर भी थी। फिर भी वह तुरंत उठा और अपनी भूख प्यास को भूलकर अपना सारा ध्यान उस गुफा से बाहर निकलने में लगा दिया।

काफी मेहनत और प्रयास करने के बाद वह सूर्य की रोशनी आने वाली सुरंग तक पहुंच गया काफी देर तक वह सुरंग में ऊपर चढ़ता गया तभी अचानक उसे वह सन्यासी हाथ आगे बढ़ाते हुए दिखा।

वह लडका झट से उस संन्यासी का हाथ पकड़ बाहर आ गया और बाहर आते ही उस संन्यासी पर गुस्सा करते हुए कहा, “आप मुझे इस अंधेरी गुफा में छोड़ कर अकेले क्यों आ गए? आपको पता है मैं कितना भयभीत हो गया हू मुझे कितने जोरों की प्यास लगी है।”

उस सन्यासी ने मुस्कुराते हुए उसे पानी दिए और बोले तुम मेरी बातों को ध्यान से सुनाना।

तुम उस गुफा से बाहर सिर्फ दो कारणों से निकल पाए हो पहला कारण तुम्हे जोरो की भूख और प्यास लगी थीं और दुसरा कारण तुम्हें वहां घुटन महसूस हो रही थी क्योंकि तुम्हे अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ रहने की आदत पड़ गई है।

इसके अलावा और दो मुख्य कारण हैं जिसके कारण तुम इस गुफा से बाहर निकल पाए हो

पहला कारण, तुम्हारे साथ वहां कहने के लिए कोई नही था की इतने अंधेरे में इतनी ऊंचाई पर तुम उस सुरंग तक कैसे पहुंचोगे, ये तो असंभव है।

दुसरा कारण, वहां कोई ये कहने वाला नही था की चलो दुसरा रास्ता देखते हैं इससे भी आसन रास्ता मिल जायेगा और हम आसनी से इस गुफा से बाहर निकल जायेंगे।

सफलता प्राप्त करने का नियम भी कुछ ऐसा ही हैं सफलता प्राप्त कैसे कर सकते है इसे समझाने के लिए मैंने एक छोटी सी दुनिया बना कर दिखाई हैं और वास्तव में सफलता प्राप्त करना इससे भी जटिल है।

जब आप किसी लक्ष्य को पुरा करने जाते है तो सलाह देने के लिए बहुत से फालतू लोग मिल जाते है जो खुद तो कुछ कर नहीं पाएं और हमे ज्ञान देते हैं ये मत करो वो मत करो। तुमसे ये ना हो पाएगा इससे अच्छा तो तुम वो काम कर लो। ऐसे ही वो हमारे दिमाग को भटका कर चले जाते है और हमे ख़ुद पर संदेह होने लगाता हैं हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता हैं

सफलता न मिलने का एक कारण ये भी हैं सफलता पाने की प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती है और हमरा मन घंटो-घंटो में बदल जाता हैं तो लक्ष्य को प्राप्त करने में सालो-साल लग जाता हैं, ऐसे में हमारा मन कैसे नही बदलेगा। जब हमारा मन बदल जाता हैं तो हम उस रास्ते को छोड़ अलग-अलग रास्ते अपनाने लगते है। परेशानियां हमे तभी दिखती है जब हमारा ध्यान हमारे लक्ष्य पर नही होता है। अगर सफलता हासिल करनी हैं तो अपना सारा ध्यान अपने लक्ष्य पर टिकाए रहो ।

मुनिवार की इन बातों को सुनकर उस व्यक्ति की आंखे खुल गई और बोला आप सच में बहुत बुद्धिमान हैं और मैं आपसे वादा करता हुं मैं आपके इन बताई बातो को अपने जीवन में जरुर अपनाऊंगा।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी Motivational Hindi Story “सफलता पाने के लिए असफलता से न डरें” पसंद आयी होगी ।

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