अपने डर पर जीत हासिल करो – short motivational story in Hindi for success
“अपने डर पर जीत हासिल करो ।” क्या आपको भी लोगों के सामने बोलने में डर लगता है । अगर हाँ, तो हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे । जिसे सुनकर आपके अंदर आत्मविश्वास आ जाएगा । तो शुरू करते हैं आज की short motivational story in Hindi for success “अपने डर पर जीत हासिल करो।”
विशाल नाम का एक लड़का था । जो की सरकारी स्कूल में पढ़ा था । स्कूल में रहते हुए उसे कभी महसूस नहीं हुआ कि वह किसी से कम है । लेकिन जैसे ही वह स्कूल पास करके बाहर निकला, तब उसने यह महसूस किया, कि सिर्फ स्कूली शिक्षा से वह जीवन में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता । इसलिए उसे कुछ ऐसी स्किल्स सीखने की जरूरत होगी, जिससे कि वह पैसे कमा सके । लेकिन उसके अंदर आत्मविश्वास की कमी थी, इसलिए उसने सोचा उसे पहले अपना आत्मविश्वास बढ़ाना होगा ।
उसने एक कॉपी निकाली और एक पेन से उस पर अपने सारे डर लिख दिए और उसका सबसे बड़ा डर था पब्लिक स्पीकिंग और अग्रेज़ी बोलने का । वह ज्यादा किसी से बोल नहीं पाता था । ऊपर से वह सरकारी स्कूल में पड़ा था, तो उसकी अंग्रेजी भी बहुत कमजोर थी, इसीलिए उसने सोचा की सबसे पहले वह अपनी अंग्रेजी पर काम करेगा ।
इसलिए उसने अंग्रेजी सीखना शुरू किया । उसने अंग्रेजी सीखने को एक चैलेंज की तरह लिया । वह देखना चाहता था कि वह अपनी अंग्रेजी बोलने के इस डर से बाहर निकल पाता है या नहीं । वह जैसे ही पढ़ने बैठता, उसको कुछ समझ में नही आता कि आखिर वह क्या पढ़ रहा है । इसलिए उसने यूट्यूब का सहारा लिया और उसमें से देखकर वह अंग्रेजी सीखने लगा । धीरे-धीरे उसे अंग्रेजी के कॉन्सेप्ट क्लीयर होने लगे, तब उसका आत्मविश्वास थोड़ा बढ़ने लगा । अब वह धीरे-धीरे कोशिश करता कि वह अंग्रेजी बोले ।
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उसे अंग्रेजी के बेसिक सिखने में ही छह महीने का वक्त लगा, लेकिन छह महीने बाद वह टूटी-फूटी बेसिक अंग्रेजी तो बोल ही लेता था।
तभी उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आता हैं । वह नोटिफिकेशन एक कंपटीशन का था । जिसमें कुछ लोगों को अंग्रेजी में कहानी कहनी थी और कुछ लोगों को कविता ।
यह सब देखकर विशाल बहुत ही खुश हो गया । उसने सोचा कि मैं भी इस कंपटीशन में भाग लूंगा । उसे अंदर ही अंदर डर भी लग रहा था कि मेरी अंग्रेजी अभी इतनी भी अच्छी नहीं है कि मैं बाकी लोगों का मुकाबला कर सकूँ। लेकिन उसे तो अपना डर खत्म करना था, इसीलिए उसने फैसला कर लिया था कि वह कंपटीशन में जरूर जाएगा ।
कंपटीशन से एक दिन पहले विशाल को रात-भर नींद नहीं आई । वह सोचता रहा कि मैं इस तरीके से बोलूंगा, तो लोग इंप्रेस हो जाएंगे । ऐसा सोचते-सोचते उसे नींद आ गई । अगले दिन कंपटीशन था । विशाल तैयार हो गया और उस जगह पहुंच गया जहां पर कंपटीशन होना था ।
सबने आकर अच्छी परफॉर्मेंस दी । उन सब की परफॉर्मेंस देखकर विशाल बहुत चकित रह गया । उसे डर लग रहा था कि वह स्टेज पर कैसे चढ़ेगा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी । आखिर उसका नंबर आ गया और वह स्टेज पर चढ़ा । उसने एक अंग्रेजी कविता लिखी थी । जिसे वह पढ़ने वाला था, पर लोगों की भीड़ देखकर विशाल की आवाज लड़खड़ाने लगी । लेकिन उसे जो आता था, गलत सही वह बोलता गया और उसकी कोशिश को देखते हुए, सभी बीच-बीच में ताली बजाकर, उसका उत्साह बढ़ाने लगे।
विशाल ने आव देखा ना ताव, उसने जीतना भी सीखा था । वह बोलता गया, उसने कविता खत्म की और कविता खत्म होते ही लोगों ने जोरदार तालिया बजाई ।
तभी एंकर ने स्टेज पर चढ़कर कहा- तुम तो सचमुच बहुत बहादुर हो, तुम्हारी हिम्मत देखकर आज हम सबको सीख मिली है कि हमें जो करना है हमें कर देना चाहिए । कभी-भी खुद को कम नहीं समझना चाहिए ।
विशाल ने अपने लिए कभी-भी इतने खूबसूरत शब्द नहीं सुने थे । यह सब सुनकर उसकी आंखें नम हो गई ।
उसने लोगों का शुक्रिया किया और स्टेज से उतर गया ।
विशाल सोचने लगा, एक वह दिन था, जब मैंने अपने डर पर जीत हासिल करने की सोची थी । और आज का दिन है जब मैं इसमें कामयाब हो गया हूंँ । विशाल बहुत खुश था और अब उसके अंदर एक आत्मविश्वास पैदा हो गया था । अब वह और भी सहज तरीके से अपने दूसरे डरो को खत्म करने की कोशिश में जुट गया ।
इस छोटी-सी कहानी से हमें बहुत बड़ी सीख मिलती है । व्यक्ति का पूरा जीवन इसलिए ही होता है कि वह अपने छुपे हुए डर को खत्म करता जाए और आगे बढ़ता जाए । “डर-डर कर जीने में क्या रखा है इससे अच्छा है कि मेहनत करते-करते हम खत्म हो जाए ।” एक डरा हुआ व्यक्ति कभी जिंदगी को खुलकर नहीं जीता, इसलिए बड़ी बारीकी से अपने जीवन में छुपे हुए डरो को देखिए और उसे कम करने के लिए, कोशिश में जुट जाइए । आपने यह लाइन तो सुनी होगी कि जीवन संघर्ष का नाम है । तो फिर अगर हमने अपने जीवन से संघर्ष को ही निकाल दिया, तो आप ही बताइए! क्या इसके बिना हम जीवन को जीवन कह सकते हैं ।