बुद्ध की एक सौ एक वीं बात | गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी
आज की कहानी का शीर्षक है “बुद्ध की एक सौ एक वीं बात ।” आज की कहानी में हम जानेंगे कि कैसे बुद्ध ने एक किसान को ‘एक सौ एक वीं’ बात का ज्ञान देकर उसे उसकी समस्याओं का सच बताया ।
बुद्ध की एक सौ एक वीं बात | गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी
एक बार की बात है । एक किसान अपने जीवन से बहुत परेशान था । उसने बुद्ध के बारे में बहुत सुना था, उसने सोचा क्यों ना मैं गौतम बुद्ध के पास जाकर अपनी समस्याओं का समाधान ले लूँ ।
ऐसा सोचकर वह बुद्ध के पास गया । बुद्ध पेड़ के नीचे आँख बंद करके बैठे हुए थे, तभी किसान बुद्ध के पास आया और उन्हें प्रणाम किया ।
किसान की आवाज सुनते ही गौतम बुद्ध ने आँखें खोली ।
किसान बोला- बुद्ध, आप बहुत ज्ञानी है, आपके पास तो हर समस्या का समाधान होगा । मैं आपसे अपनी समस्या का समाधान देने आया हूंँ ।
बुद्ध ने कुछ नहीं बोला, बस उसकी बाते सुनते रहे ।
किसान बोला- बुद्ध, आजकल पैसों की बहुत तंगी चल रही है, बारिश ना होने की वजह से मेरी फसल खराब हो चुकी है, यही नहीं पिछली बार तो इतनी ज्यादा बारिश हुई थी, कि उस वजह से भी मेरी फसल खराब हो गई थी । मैं शादीशुदा हूँ और मेरे दो बच्चे हैं, यूँ तो मेरी पत्नी बहुत अच्छी है, लेकिन मुझे कभी-कभी उस पर क्रोध आता है । मेरा मन करता है कि मैं उसे छोड़ दूँ और बच्चों को देखकर भी मैं यही सोचता हूंँ, अगर यह ना होते तो अच्छा होता । लेकिन थोड़ी ही देर बाद मैं सोचता हूंँ कि मैं कैसा मनुष्य हूंँ जो अपने परिवार के बारे में ही इस तरह से सोच रहा है । मैं चाहता हूँ मैं हमेशा सुखी रहूँ । दुख मेरे आस-पास भी ना आये, जीवन में बहुत ज्यादा समस्या है ।
किसान काफी देर तक बोलता गया, जितना वह बोल सकता था, उसने बोला । जब बोलते-बोलते वह थक गया तो वह चुप हो गया।
बुद्ध भी उसकी बातों को सुनते रहे।
थोड़ी देर बाद फिर किसान बोला- बुद्ध कब से, मैं ही बोले जा रहा हूंँ और आपने कुछ नहीं कहा?
बुद्ध बोले- मैं तुम्हारी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता ।
किसान बोला- आप यह क्या कह रहे हैं, मैंने तो सुना था कि आप बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं ? लेकिन आपने तो साफ इनकार ही कर दिया, यदि आप मेरी समस्या का समाधान नहीं कर सकते, तो फिर आपका बुद्ध होने का क्या फायदा ?
गौतम बुद्ध बोले- तुम्हारे पास सौ समस्याएँ हैं और यह समस्याएँ सिर्फ तुम्हारी ही नहीं है, प्रत्येक इंसान की है । तुम्हारे पिताजी की भी थी, तुम्हारे बच्चों की भी होगी, कोई इससे अछूता नहीं है । यह तो हर मनुष्य के जीवन में होता है, जीवन ऐसा ही है इसलिए इसका कोई उपाय नहीं है ।
बुद्ध की यह बातें सुनकर किसान क्रोध में आ गया वह बोला- आपसे अच्छे तो मेरे वह बाबा थे, जिन्होंने मेरे घर आकर यज्ञ किया था और उसके बाद मेरे घर में कुछ वक्त के लिए सुख-शांति भी आ गई थी, लेकिन आप तो मेरी समस्याओं का समाधान करने के बजाय, उल्टा मुझे यह कह रहे हो, कि जीवन ऐसा ही होता है ।
गौतम बुद्ध बोले- क्या, उन बाबा ने तुम्हें जीवन-भर के लिए सुखी कर दिया, यदि ऐसा होता तो तुम मेरे पास यहां नहीं आते ।
सुख-दुख एक दूसरे की परछाई होते है, इसलिए केवल एक चीज अकेले मौजूद हो नहीं सकती । कोई भी मनुष्य हमेशा सुखी या हमेशा दुखी नहीं रह सकता । इसलिए अपनी सौ समस्याओं को छोड़कर ‘एक सौ एक वी’ बात पर ध्यान देना चाहिए ।
यह भी पढ़े:- ताली कभी भी एक हाथ से नहीं बजती | गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी
किसान बोला- यह एक सौ एक वीं बात कौन-सी है ?
गौतम बुद्ध बोले- यही बात की मनुष्य सौ समस्याओं को समझ सके ।
किसान बोला- आप मुझे बताये, इन सौ समस्याओं को कैसे समझे ?
गौतम बुद्ध बोले- सबसे पहले हमें अपने मन से यह विचार निकालना होगा, कि हमें हमेशा सुखी रहना है और दुख से बच के रहना है, क्योंकि ऐसा संभव ही नहीं है । इसलिए मन की इस खींचातानी को छोड़कर, अपने जीवन को सहज रूप से जीना होगा । सुख- दुख को रोकना मनुष्य के हाथों में नहीं है, लेकिन सुख-दुख से ऊपर उठना मनुष्य के ही हाथ में है ।
समस्याओं को गौर से देखो ये आती है लेकिन स्थायी नहीं है कुछ वक़्त बाद यह अपने आप चली जाती है । “समस्या-समाधान साथ-साथ चलते है समस्या है तभी समाधान का भी महत्व है और समाधान बिना समस्या के हो नही सकता ।” सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है । इसलिए जो इस बात को जान लेता है, वही अपना सहज जीवन जी सकता हैं ।
बुद्ध की बात सुनकर किसान समझ गया कि सुख-दुख को रोकना असंभव है लेकिन इसे समझ कर अपनी जिंदगी को सहज रूप से जीना आसान है ।
किसान बोला- बुद्ध मुझे माफ कर दीजिए! मैंने आप पर क्रोध किया, लेकिन आज आपने मुझे यह एक सौ एक वी बात बताकर मेरा उद्धार कर दिया है । अब जान गया हूंँ, जीवन की हकीकत क्या है कि कोई भी समस्या ज्यादा देर तक नहीं टिकने वाली, इसके तुरंत बाद सुख है और उसके तुरंत बाद दुख है ।
किसान ने बुद्ध को प्रणाम किया और वह चला गया ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें भी अपना जीवन इस चिंता में नहीं गवांना चाहिए कि हमारे जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं । समस्याओं का समाधान भी वही व्यक्ति निकल सकता है, जो अपने जीवन को सहजता के साथ देख सकता हो । इसलिए जीवन के इस सुख-दुख के नियम को हमें समझना होगा और फिर सच में हमारा जीवन सार्थक होगा ।
उम्मीद करते हैं आपको हमारी गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी “बुद्ध की एक सौ एक वीं बात” पसंद आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS Squad, Think Yourself और Your Goal