“नकारात्मक विचार कैसे दूर करें?” | गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी
आज की कहानी का शीर्षक है “नकारात्मक विचार कैसे दूर करें?” एक खुशहाल जीवन के लिए व्यक्ति को सकारात्मक होना चाहिए । आज हम इस कहानी में जानेंगे, कि कैसे बुद्ध ने अपने ज्ञान द्वारा एक भिक्षुक को सकारात्मकता का पाठ पढ़ाया ।
“नकारात्मक विचार कैसे दूर करें?” | गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी
एक बार की बात है, एक बौद्ध भिक्षुक था । उसके भीतर हमेशा नकारात्मक विचार उठते रहते थे । जिसकी वजह से वह चिंता और तनाव महसूस करता था । बौद्ध धर्म के सारे नियम तो वह अपना रहा था, लेकिन उसे यह भी पता चल रहा था, कि यह सिर्फ बाहर-बाहर से है क्योंकि यदि वह बौद्ध-धर्म में बताए गए नियमों को भीतर से अपनाता, तो उसके अंदर यह नकारात्मक विचार आते ही नहीं ।
अब उसके नकारात्मक विचार इतनी बढ़ गए कि वह धीरे-धीरे बौद्ध धर्म के बाहरी नियमों से भी दूर होता गया ।
अब भिक्षुक की चिंता और ज्यादा बढ़ गई, इसलिए उसने फैसला किया, कि अब गौतम बुद्ध ही उसकी समस्या का समाधान कर सकते हैं।
भिक्षुक गौतम बुद्ध के पास पहुंचा और कहने लगा।
मुझे आपसे अपनी एक समस्या के विषय में बात करनी है पर मुझे बताते हुए थोड़ा संकोच हो रहा है ।
बुद्ध बोले- संकोच किस बात का शिष्य, उसकी तो यहाँ कोई जगह नहीं है ।
भिक्षुक बोला- मेरे भीतर नकारात्मक विचार बढ़ गए हैं । पहले यह विचार मन के भीतर थे, लेकिन अब यह बाहर भी दिखने लगे हैं । मैं ठीक प्रकार से बौद्ध धर्म के नियमों का पालन नहीं कर पा रहा हूँ और मुझे इसलिए संकोच हो रहा है क्योंकि मैं एक बौद्ध भिक्षुक हूंँ और इसके बावजूद भी मेरे भीतर नकारात्मक विचार बढ़ रहे हैं ।
बुद्ध बोले- व्यक्ति तो जन्म से ही नकारात्मक होता है, लेकिन ज्ञान द्वारा धीरे-धीरे वह सकारात्मक होता जाता है ।
भिक्षुक बोला- मैंने तो यहाँ रहकर पूरी बोध शिक्षा प्राप्त की हैं, लेकिन उसके बावजूद भी नकारात्मक विचार जाते ही नहीं । आप मुझे बताइए ? कि मैं किस प्रकार इसे दूर करूँ?
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बुद्ध बोले- मैं तुम्हें एक कहानी के माध्यम से बताता हूँ ।
“एक बार एक व्यक्ति जंगल से जा रहा था । जंगल बड़ा सुनसान था । इसकी वजह से उसके भीतर पहले से ही डर उत्पन्न हो गया था, चलते-चलते उसे एक साँप दिखा, वह घबरा कर भागने लगा । वह दो कदम ही भाग पाया, कि उसका पैर एक पत्थर से टकराया और वह गिर गया । वह बुरी तरीके से घायल हो चुका था, उसके पास साहस नहीं था कि वह उठ सके ।
उसको लगा अब तो वह मरने ही वाला है । कुछ देर रुक कर जब उसने पीछे की तरफ देखा तो साँप के आकार की एक लकड़ी थी । लकड़ी को देखते ही उसकी जान में जान आई । वह सोचने लगा- मैं कितना बड़ा मुर्ख हूँ, इस लकड़ी को साँप समझ रहा था, पल-भर में ही उस व्यक्ति का डर छूमंतर हो गया ।
और इस तरह कहानी समाप्त हो गई ।”
बुद्ध बोले- तुम्हारे भीतर भी डर है, कुछ छिन जाने का, कुछ पाने-खोने का और इसी डर के कारण तुम्हें चिंता और तनाव हो जाता है और इन सब के पीछे नकारात्मकता अपने आप ही चली आती है ।
भिक्षुक बोला- हाँ, आप सही कहते हो, लेकिन मैं इस विषय में आपसे थोड़ा और जानना चाहता हूंँ, कि कैसे मै एक सकरात्मक इंसान बनूँ ?
बुद्ध बोले- तुम ध्यान से मेरी बताई गई बातो को सुनो ।
बुद्ध ने सकारात्मक होने के विषय पर एक-एक करके उपदेश देना शुरू किया ।
हमेशा जागरूक रहो:- हमेशा वास्तविक जीवन में जीने की कोशिश करो और किसी भी घटना से तुम्हारे भीतर क्या प्रतिक्रिया होती है, उस पर विशेष ध्यान दो । धीरे-धीरे इससे तुम्हारी जागरूक होने की शक्ति बढ़ेगी ।
दूसरों को माफ करना सीखो:- यदि किसी से गलती हो जाए, तो उसे माफ करना सीखो । ऐसा करने से तुम्हारे भीतर चिंता और तनाव कम होता जाएगा । दुसरो के साथ-साथ खुद को भी माफ करना सीखो, ऐसा करने से तुम्हारे भीतर आत्मग्लानि कम होती जायेंगी।
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नकारात्मकता का कारण खोजो:- दुनिया में कोई भी चीज बिना कारण के नहीं होती । तुम्हारी नकारात्मकता का असली कारण क्या है, उसे खोजने का प्रयास करो । जड़ तक जाओ, ताकि तुम देख सको कि तुम क्यों नकारात्मक हो रहे हो । खोजते-खोजते समझ जाओगे ।
आभार व्यक्त करो:- जीवन के प्रति हमेशा अपना आभार व्यक्त करो । देखो की जीवन ने तुम्हें क्या-क्या सकारात्मक दिया है। यह सोचो कि तुम कितने सौभाग्यशाली हो कि तुम्हें बुद्धत्व को जानने का मौका मिल रहा है ।
बुद्ध की यह बात सुनकर भिक्षुक ने उनके आगे हाथ जोड़ लिए ।
भिक्षुक बोला- बुद्ध, आपके इस ज्ञान से मेरी नकारात्मकता दूर होती जा रही है । अब मैं जान गया हूंँ कि नकारात्मकता मेरे भीतर है तो सकारात्मक भी मेरे भीतर ही होंगी । नकारात्मकता बिना किसी प्रयास के मिल जाती है, लेकिन सकारात्मक के लिए मनुष्य को हमेशा खोज करनी पड़ती है ।
ऐसा कहकर भिक्षुक ने बुद्ध को धन्यवाद किया ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि नकारात्मक विचारों से हम हमेशा तनाव में ही रहेंगे, इसलिए हमें अपना नजरिया बदलना होगा और अपने जीवन में सकारात्मक चीजों को महत्व देना होगा। छोटी-छोटी सकारात्मक चीजों में अपना समय बिता कर, हम खुद को खुश रख सकते हैं ।
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