अगर खुश रहना हैं तो परिस्तिथि के अनुसार ख़ुदको बदलते रहो || Motivational Story in Hindi

अगर खुश रहना हैं तो परिस्तिथि के अनुसार ख़ुदको बदलते रहो
Share this Post to Your Friends

आज की कहानी का शीर्षक है “अगर खुश रहना हैं तो परिस्तिथि के अनुसार ख़ुदको बदलते रहो” आज के समय में वही मनुष्य सफ़ल और खुश हैं जिसने अपने जीवन में आने वाली अच्छी और बुरी परिस्तिथियों में खुदको परिस्तिथि के अनुसार ढाल लिया हैं और जो अपने आप को परिस्तिथि के अनुसार ढाल नहीं पाते वे ना तो सुखी रह पाते हैं और ना ही अपने जीवन से संतुष्ट हो पाते हैं।

अगर खुश रहना हैं तो परिस्तिथि के अनुसार ख़ुदको बदलते रहो || Motivational Story in Hindi

एक समय की बात है राजा भोज और उनके मंत्री सैर के लिए निकले थे । चलते-चलते राजा की नजर एक गरीब किसान पर पड़ी, जो की एक बहुत ही उबड़-खाबड़ और पथरीली जमीन पर सो रहा था । यह देखकर वह सोच में पड़ गए कि ऐसी पथरीली जमीन पर भला, इसको कैसे नींद आ सकती है । उन्होंने मंत्री से कहा- मंत्री देखो, यह किसान कितनी पथरीली जमीन पर सो रहा है, पर ना जाने इसे नींद कैसे आ रही है ?

मंत्री बोला- महाराज परिस्थिति के कारण ।
राजा भोज बोले- पर इसकी परिस्थिति तो बुरी है, लेकिन फिर भी यह एक इंसान ही तो है, कैसे यह ऐसी जमीन पर आराम से सो सकता है ?

मंत्री बोला- इसकी परिस्थिति यह है कि इसके पास सोने के लिए मखमल और आरामदायक बिस्तर नहीं है, इसलिए इसने पथरीली जमीन पर सोने की परिस्तिथि में खुदको ढाल लिया हैं और अब इसके लिए यह एक सामान्य बात है ।
राजा भोज बोले- अच्छा! यदि इसको आरामदायक बिस्तर दे दिया जाए, तो क्या यह उस बिस्तर पर नहीं सो पाएगा ?
मंत्री बोला- यदि कई दिनों तक इसे आरामदायक बिस्तर में सोने का अभ्यास हो जाए, तो यह उस परिस्थिति में भी खुद को ढाल लेगा ।

राजा भोज कुछ सोचने लगे और फिर बोले- लेकिन हम चाहते हैं हम तुम्हारी इस बात का प्रयोग करके देखें । इसलिए हम इस किसान को महल ले जाकर आरामदायक बिस्तर में सुलाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं, कि इसकी परिस्थिति बदलते ही इसकी आदत बदली या नही ।
मंत्री बोला- जी महाराज! यह तो बहुत ही अच्छा प्रयोग है ।

मंत्री ने किसान को उठाया । किसान ने जैसे ही राजा को देखा उसने तुरंत हाथ जोड़ लिए ।
राजा किसान को देखकर बोले- मैं देख पा रहा हूंँ तुम्हारी परिस्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए दो महीना के लिए मैं तुम्हें अपने महल ले जाना चाहता हूंँ ।

राजा की यह बात सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ । राजा किसान और मंत्री तीनों महल में पहुंच गए ।
राजा ने मंत्री से कहा- किसान के लिए एक बहुत अच्छे और बड़े कमरे में ठहरने की व्यवस्था करो और खासकर उसका बिस्तर मखमली और आरामदायक होना चाहिए ।
राजा की यह बात सुनकर किसान की खुशी की कोई सीमा ना रही ।

मंत्री किसान को लेकर उस कमरे में पहुंच गया, जहां पर उसे रुकवाना था । किसान आंखें फाड़ कर कमरे को देखने लगा । अपने पूरे जीवन में उसने ऐसा सुंदर कमरा कहीं नहीं देखा था । फिर उसकी नजर बिस्तर पर पड़ी, बिस्तर को देखते वह उसमें बैठ गया ।
मंत्री बोला- बताओ! कैसा लग रहा है तुम्हें ?
किसान बोला-
अरे! मंत्री जी स्वर्ग लोक जैसा लग रहा है । मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, कि मैं कभी ऐसे बिस्तर पर बैठ भी सकता हूंँ ।

मंत्री बोला- ठीक है, मैं कल यहां आऊंगा और पूछूँगा, कि तुम्हे कैसा लगा इस बिस्तर पर सोकर ।
ऐसा कहकर मंत्री उसके कक्ष से निकल गया । किसान आराम से बिस्तर पर सो गया ।

अगले दिन मंत्री किसान के कक्ष में आया और उससे पूछने लगा- बताओ, कल तुम्हें कैसी नींद आई ?

किसान बोला- मंत्री जी, बिस्तर तो बहुत मुलायम है लेकिन ना जाने मुझे कल इसमें नींद नहीं आई ।
मंत्री बोले- कभी ऐसे बिस्तर पर नहीं सोए नही हो इसीलिए, धीरे-धीरे तुम्हे इसकी आदत पड़ जाएगी ।

राजा और मंत्री की बातचीत ।
राजा ने मंत्री से पूछा- मंत्री बताओ ? क्या किसान को कल नींद अच्छी आई थी ।
मंत्री बोला-
नहीं राजा, कल उसे अच्छी नींद नहीं आई ।

राजा बोले- यह कैसी अजीब बात है, कि उसे पथरीली जमीन पर तो आराम की नींद आती थी और मखमली बिस्तर पर उसे नींद ही नहीं आ रही ।
मंत्री बोला- राजा अपने पूरे जीवन में वह कभी ऐसे बिस्तर पर नहीं सोया, यह चीज भले ही आरामदायक है लेकिन उसके लिए नहीं है लेकिन वक्त के साथ-साथ उसे मखमल का बिस्तर अच्छा लगने लगेगा ।

एक माह बीतने के बाद
राजा किसान के कक्ष में पहुंचे और बोले- बताओ? तुम्हें मखमली बिस्तर में सोते हुए कैसा लग रहा है ?
किसान बोला-
महाराज! ऐसा सुख तो मैंने अपने जीवन में कभी भी नहीं देखा । बिस्तर पर लेटते ही मेरी आंखें ऐसी बंद हो जाती है, कि फिर सुबह ही खुलती हैं ।

राजा किसान के कक्ष से निकल गए और मंत्री के पास पहुंचे ।
राजा बोले- तुम सत्य ही रहते थे, कि परिस्थिति बदलने से इंसान उसी स्थिति में ढल जाता है ।

किसान बोला- महाराज! हम इसकी स्थिति फिर से बदल सकते हैं । मैं आज किसान के बिस्तर के नीचे कुछ सूखी पत्तियां और कंकर आदि रख रख देता हूंँ ।
राजा बोले- हाँ, तुम ऐसा करो और मुझे बताओ! कि किसान की नींद में कोई फर्क आता है या नहीं ।

मंत्री ने ऐसा ही किया उसने किसान के बिस्तर के नीचे कुछ सूखी पत्तियों और कंकर आदि रख दिए ।
सुबह मंत्री ने जब किसान से पूछा तो उसने बताया, कि कल मुझे नींद नहीं आई ।

दो महीने बाद
मंत्री बोला-
महाराज! दो महीने पूरे हो चुके हैं और हमारा प्रयोग भी पूरा हो चुका है । पहले परिस्थिति के कारण उसे पथरीली जमीन पर सोने की आदत थी और फिर कुछ ही वक्त बाद उसे मखमली बिस्तर पर सोने की आदत हो गई । जो किसान इतनी पथरीली जमीन पर सोया करता था, आज उसे सूखी पत्ती और कंकर भी इस तरह प्रतीत हो रहे थे, कि वह सो ही नहीं पाया । इससे यह सिद्ध होता है कि उसकी आदत अब मखमली बिस्तर पर सोने की हो चुकी है । जिस प्रकार पहले उसकी आदत पथरीली जमीन पर सोने की थी ।

राजा बोले- मंत्री, तुमने सत्य ही कहा था । व्यक्ति अपनी परिस्थिति के हिसाब से अपने आप को ढाल लेता है, जैसे शरीर को आदत पड़ जाती है, वह वैसे ही व्यवहार करने लगता है ।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि जैसी परिस्थिति होती है, व्यक्ति वैसे ही खुद को ढाल लेता है और जो लोग परिस्तिथि के अनुसार खुदको ढाल नहीं पाते वे लोग सोचते हैं की यह परिस्तिथि/मुसीबत सिर्फ उन्ही के जीवन में हैं। ऐसे लोग कभी खुश नहीं रह पाते हैं। हम इंसान तो इंसान जानवर भी खुदको परिस्तिथि के अनुसार ढाल लेते हैं जैसे ठंडे इलाकों में रहने वाले पशु-पक्षी खुद को मौसम के हिसाब से ढाल लेते हैं।

हमें भी जीवन में ऐसे लोगों की संगत करनी चाहिए, जिनकी संगति से हम बदल सके । क्योंकि क्षमता तो हर इंसान में होती है, लेकिन बस हमें उस सही परिस्थिति को खोजना होगा, जिसमें रहकर हम अपने आप ही बदल पाएं ।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी  Motivational Story in Hindi “अगर खुश रहना हैं तो परिस्तिथि के अनुसार ख़ुदको बदलते रहो” पसंद आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


Share this Post to Your Friends

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *