समस्या नहीं समाधान ढूंढो || Small Moral Story in Hindi
हमें हमेशा यही लगता रहता है कि हमारा दुख बहुत बड़ा है और औरों का दुख हमसे कम है । बस इसी के चलते हम दूसरों से अपनी तुलना करते रहते हैं और हमे लोगों से ईर्ष्या होने लगती है । आज की कहानी भी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसे अपने जीवन में समस्या ही समस्या दिखती थी । आज की प्रेरणादायक कहानी (Small Moral Story in Hindi) “समस्या नहीं समाधान ढूंढो।”
समस्या नहीं समाधान ढूंढो || Small Moral Story in Hindi
एक व्यक्ति था । उसके जीवन में हर वक्त कोई ना कोई समस्या रहती थी । कभी कोई बीमार पड़ जाता था, कभी अपनी तनख्वाह को लेकर वह परेशान रहता था । कभी बॉस से उसका झगड़ा हो जाता था । हर समय कोई ना कोई उलझन उसके सामने आती ही रहती थी । वह हमेशा पूजा-पाठ किया करता था । और सोचता था, मैं भगवान की इतनी पूजा-पाठ करता हूंँ लेकिन फिर क्यों भगवान मेरे जीवन में एक के बाद एक समस्या ही देते रहते हैं । बाकी लोग पूजा-पाठ नही करते, फिर भी मजे में रहते हैं मुझे लगता है, शायद भगवान है ही नहीं ।
एक दिन उस पर एक भारी समस्या आ गई और उसके हाथ से उसकी नौकरी चली गई । वह घर जाकर भगवान के सामने बैठ गया और उनके सामने हाथ जोड़कर कहने लगा- भगवान! मुझे आपसे बात करनी है । आप आज रात को मेरे सपने में आकर मुझे दर्शन दो ।
वह लगातार भगवान से यही बोला जा रहा था और ऐसे बोलते-बोलते उसे नींद आ गई । और उसे एक सपना आया जिसमें भगवान ने उसे दर्शन दिए । भगवान को देखते ही वह लगातार बोलने लगा- भगवान मैं पूजा-पाठ करता हूंँ । इतना आपको मानता हूंँ । फिर भी मेरे जीवन में एक के बाद एक समस्या लगी ही रहती है । गलत काम करने वाले लोग मजे से अपनी जिंदगी गुज़ार रहे हैं और एक मैं, सीधा-साधा इंसान मुझे क्यों आप कष्ट दे रहे हो? मैं इन समस्याओं से छुटकारा पाना चाहता हूंँ । क्या आपको अपने भक्त पर तनिक भी दया नहीं है ।
भगवान बोले- नहीं वत्स! ऐसी बात नहीं है मेरा प्रेम और दया तो हमेशा भक्तों के साथ है ।
व्यक्ति बोला- तो फिर भगवान मेरी समस्याओं को दूर करो ।
भगवान बोले- ठीक है!
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भगवान ने एक बरगद के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा- तुम अपनी सारी समस्याएं एक कागज पर लिख दो और उसे एक पोटली में रखकर बरगद के पेड़ पर बांध दो ।
व्यक्ति बोला- सचमुच! भगवान आज ऐसा लग रहा है, मुझे मेरे पूजा-पाठ का फल मिल रहा है ।
भगवान बोले- रुको! पर इसके साथ मेरी एक शर्त भी है । तुम्हें उधर पोटली बांधकर आने के बाद उधर से एक दूसरी पोटली लेकर आनी होगी और उस पोटली में जो समस्या होगी वो तुम्हारे जीवन में आ जाएगी और जो तुमने समस्या लिखी हैं वो तुम्हारे जीवन से चली जाएगी। एक बात और, तुम किसी भी पोटली को खोलकर नहीं देख सकते।
व्यक्ति ने कहा- ठीक है, भगवान में ऐसा ही करूंगा ।
व्यक्ति ने बहुत सारे कागजों पर अपनी समस्याएं लिखी और उसको इकट्ठा करके एक पोटली में रख दिया । उसके बाद उस पोटली को बरगद के पेड़ पर बांध दिया । उस पेड़ पर और बहुत सारी पोटली टंगी हुई थी । उसने एक पोटली उठाई फिर वह सोचने लगा, कहीं इस पोटली में कोई बीमारी तो नहीं लिखी । फिर उसने उस पोटली को छोड़ दिया और दूसरी पोटली उठाई फिर वह सोचने लगा, कहीं इसमें ऐसा ना लिखा हो कि परिवार में से किसी की मौत हो जायेंगी ।
यह सोचकर उसने वह पोटली भी छोड़ दी । तीसरी पोटली उठाई फिर वह सोचने लगा, कहीं इसमें ऐसा तो नहीं लिखा कि मुझे मेरा घर-बार धन दौलत सब छिन जाएगा । ऐसा सोचते हुए उसने कई पोटली उठाई और झुंझलाकर वह बिना पोटली लिए ही वापस आ गया ।
भगवान बोले- तुम पोटली लिए बिना ही वापस आ गए ।
व्यक्ति बोला- मेरी समस्या क्या है, वह तो मुझे पता है लेकिन औरों ने उन पोटलियों में अपनी कौन-कौन सी गंभीर समस्याएं लिखी है, उनका तो मुझे तनिक भी नहीं पता । तो कैसे मैं उनमें से कोई भी पोटली चुन लूँ ।
भगवान बोले- तुम तो अपनी समस्याओं को त्यागना चाहते थे ।
व्यक्ति ने हाथ जोड़ लिए और बोला- भगवान मैं समझ चुका हूंँ, आप मुझे क्या समझाना चाहते है । दुनिया में सभी के पास समस्याएं हैं लेकिन हमें अपनी समस्या ही बड़ी लगती है । मैं अपनी पोटली वापस लेकर आ जाता हूंँ ।
भगवान बोले- यही तो प्रकृति का नियम है । हर मनुष्य को अपनी ख़ुद की समस्याओं से जूझना ही पड़ता है । समस्या है तो समाधान भी है । दोनों एक-दूसरे के विपरीत होते हुए भी, एक ही है । एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं है । इसलिए अपने जीवन की हर समस्या को शांति से सुलझाओ । कभी-भी अपनी तुलना किसी से मत करो । जिन लोगों को देखकर तुम्हें लगता है कि वह पाप करते हुए भी आनंद में है, असल में उस आनंद का उतना ही हिस्सा उन्हें दुख के रूप में प्राप्त होगा । यह नियम सब पर लागू है ।
तुरंत उस व्यक्ति का सपना टूट गया और वह उठकर बैठ गया । उसने भगवान की मूर्ति की तरफ देखा और हाथ जोड़ लिए कहने लगा- आपका बहुत-बहुत आभार भगवान । यदि आप मेरे सपने में आकर मुझे नहीं समझाते तो जीवन-भर मैं खुद को कष्ट पहुँचाता रहता । अब तो मेरी आस्था आप पर और बढ़ गई है । अब मैं हर समस्या का समाधान शांत चित होकर करूंगा । क्योंकि मैं जान गया हूंँ यह प्रकृति का नियम है और इस नियम को कोई नहीं तोड़ सकता ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि समस्या हमेशा रहेगी, इसलिए हमें उसका समाधान निकालने की आवश्यकता है । असल में सिर्फ समाधान ही हमारे हाथ की बात है किसी से ईर्ष्या करने से या किसी को नीचा दिखाने से हम अपनी समस्याओं से कभी छुटकारा नहीं पा सकते । भगवान श्री कृष्णा ने भी कहा है कि हमारा अधिकार सिर्फ कर्म पर है फल पर नहीं ।
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