मज़िल दूर नहीं – गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी
“मज़िल दूर नहीं” लम्बा रास्ता तभी कम होता है, जब हम खुद को लगातार आगे बढ़ाते रहे । जितनी तेजी से हम जीवन में आगे बढ़ेंगे, उतनी ही तेजी से मंजिल हमारे नजदीक आती रहेगी । शुरू करते हैं गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी। “मज़िल दूर नहीं”
मज़िल दूर नहीं – गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी
एक बार की बात है गौतम बुद्ध को किसी गांव में प्रवचन देने के लिए जाना था । इसलिए वह सुबह जल्दी उठे और अपने शिष्य आनंद को अपने साथ लेकर उस गांव की ओर चल दिए । बुद्ध और आनंद को चलते-चलते काफी देर हो गई, लेकिन वह गांव तो आने का नाम ही नहीं ले रहा था । चलते-चलते आनंद थक गया था । वह बुद्ध से बोला- बुद्ध हमें चलते हुए इतनी देर हो गई, लेकिन अभी तक वह गांव नहीं आया । हम आस-पास किसी से पूछ लेते हैं कि गांव कितनी दूरी पर है ।
बुद्ध बोले- ठीक है, तुम पूछ सकते हो?
चलते-चलते रास्ते में आनंद को एक किसान दिखा । जो की खेतों में काम कर रहा था, तभी आनंद उसके पास पहुंचा और बोला- हमें उत्तर दिशा में जो गांव पड़ता है, उस तरफ जाना है । अभी हमें कितना वक्त लगेगा ।
किसान बोला- बस दो किलोमीटर है, आने ही वाला है ।
ऐसा सुनकर आनंद की जान में जान आई वह सोचने लगा, चलो ठीक है कुछ ही देर में हम गांव पहुंच जाएंगे ।
वह किसान बुद्ध को देखकर मुस्कुराया और बुद्ध भी उसे देखकर मुस्कुराये । आनंद दोनों के मुस्कुराहट के पीछे छिपे भाव को नहीं समझ पाया ।
बुद्ध पह ले भी उसे गांव में गए हुए थे ।इसलिए वह जानते थे कि वह गांव अभी बहुत दूरी पर है ।
अब चलते-चलते उन्हें और देर हो गई । रास्ते में आनंद को एक अम्मा दिखाई दी । जो कि सर पर लकड़ीयों का गट्ठा लेकर चल रही थी ।
आनंद ने उन्हें रोका और पूछा- अम्मा हमें उत्तर दिशा में जो गांव पड़ता है, उधर जाना है, हमें कितना वक्त लगेगा?
अम्मा बोली- बेटा बस दो किलोमीटर दूर है। अम्मा बुद्ध को देखकर मुस्कुराई और बुद्ध भी अम्मा को देखकर हल्के से मुस्कुराए । आनंद को फिर समझ नहीं आया कि आखिर यह दोनों एक-दूसरे को देखकर क्यों मुस्कुरा रहे हैं ।
फिर काफी देर चलने के बाद आनंद को एक तीसरा व्यक्ति दिखा आनंद ने उससे वही सवाल किया और उसने भी यही उत्तर दिया कि गांव बस दो किलोमीटर दूर है ।
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आनंद अब बहुत ज्यादा थक गया था, इसलिए उससे रहा नहीं गया । उसने गुस्से में अपना झोला फेंका और बुद्ध के सामने हाथ जोड़कर बोला- बुद्ध, मुझे माफ करो! लेकिन अब मेरे भीतर तनिक भी चलने की हिम्मत नहीं है । जिससे भी पूछो वह यही कह रहा है कि बस दो किलोमीटर दूर है । लेकिन हमें चलते-चलते इतनी देर हो गई । हम सुबह निकले थे अब साँझ हो रही है, लेकिन फिर भी गांव है जो, वो आने का नाम ही नहीं ले रहा ।
बुद्ध बोले- धैर्य रखो आनंद, कोई बात नही । मैं तुम्हारी परेशानी समझता हूंँ । तुम्हारी तरह मैं भी बहुत थक गया हूंँ । बगल में एक पेड़ है रात-भर हम उधर विश्राम करते हैं और सुबह गांव की ओर निकल जाते हैं ।
ऐसा सुनकर आनंद को थोड़ा चैन मिला वह और बुद्ध दोनों पेड़ के नीचे आराम से बैठ गए ।
आनंद बोला- बुद्ध, एक बात समझ नहीं आई । जिससे भी मैंने रास्ता पूछा सभी दो किलोमीटर, दो किलोमीटर कह रहे थे । यदि सच में रास्ता दो किलोमीटर की दूरी पर होता, तो हम कब का पहुंच जाते ।
बुद्ध बोले- आनंद में इस गांव में पहले भी जा चुका हूंँ । यह गांव दो किलोमीटर नहीं, बीस किलोमीटर दूरी पर है । जिसमें छह किलोमीटर हम पार कर चुके हैं ।
आनंद बोला- बुद्ध, यह गांव इतना दूर है, तो आपने मुझे पहले ही क्यों नहीं बताया ?
बुद्ध बोले- क्योंकि मैं नहीं चाहता था, कि लंबे रास्ते का सोच कर तुम पहले से ही रुक जाओ ।
आनंद बोला- बुद्ध मैं यह जानना चाहता हूंँ । वह तीनों लोग जिससे मैंने रास्ता पूछा था । आप उनको देखकर क्यों मुस्कुराए और वह भी आपको देखकर क्यों मुस्कुराए?
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बुद्ध बोले- वह मुझे और मैं उन्हें देखकर समझ गया था कि हमारा काम एक ही है, दूसरों को आगे बढ़ाना जैसे मैंने तुम्हें नहीं बताया कि गांव बीस किलोमीटर दूर है । वैसे ही वे तुम्हें नहीं बताना चाहते थे कि गांव अभी बहुत दूर है । लेकिन उन तीनों ने मिलकर हमसे छह किलोमीटर का रास्ता तो तय करवा ही दिया ।
बुद्ध आगे बोले- जब मनुष्य को पता होता है कि मंजिल पास में ही है । तब उसकी गति बढ़ जाती है लेकिन जब मनुष्य को यह पता होता है कि रास्ता बहुत लंबा है तो उसकी गति धीमी हो जाती है । “जीवन के किसी भी मार्ग पर, किसी भी व्यक्ति की गति धीमी ना हो इसलिए उसे हमेशा प्रोत्साहित करते रहना चाहिए कि बस मंजिल आने ही वाली है ।”
बुद्ध की यह बात सुनकर शिष्य ने उन्हें दंडवत प्रणाम किया ।
आनंद बोला- बुद्ध! यह मेरा सौभाग्य है, कि आप मेरे गुरु हैं । आपके साथ मुझे हमेशा ही कुछ सीखने को मिलता है, इस रास्ते की यात्रा में भी आपने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया है । मैं समझ चुका हूंँ यदि मनुष्य को मंजिल से प्यार हो, तो उसे अपने आप को बार-बार यही समझना होगा कि बस थोड़ी दूर और, इस प्रकार एक दिन वह अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा । बुद्ध और आनंद ने पेड़ के नीचे रात-भर विश्राम किया और सुबह गांव की तरफ निकल गए ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को हमेशा खुद को आगे बढ़ाते रहना चाहिए । उसे इस बात का यकीन होना चाहिए कि मंजिल है और बहुत पास है । वह दूरी तभी घटेगी जितना हम आगे बढ़ेंगे, तो अपने कदमों को तेज करो और खुद से हमेशा यही कहो कि मज़िल दूर नहीं, मंजिल पास है ।
उम्मीद करते है आपको हमारी गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी “मज़िल दूर नहीं” पसन्द आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS Squad, Think Yourself और Your Goal