मेरे साथ ही ऐसा क्यों?

Mere sath hi aesa kyo
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अक्सर लोग परेशानियों में भगवान को कोसते रहते हैं | कि भगवान तूने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया | मैं ही मिला क्या तुझे तकलीफ़ देने को | मैं ही क्यों ?
लोग अपने अच्छे वक़्त में भगवान को याद नहीं करते पर जैसे ही बुरा वक़्त आता हैं भगवान को गाली देना शुरू |
यही प्रकृति हैं इंसान की |

पर मैं एक बात आपको बताना चाहता हूँ ये जो सुख और दुःख हैं ना वो हर इंसान के हिस्से में आते हैं | कोई भी इंसान इनसे वंचित नहीं रह सकता | चाहे अमीर हो या गरीब, राजा हो या रंक हर इंसान के भाग्य में सुख और दुःख आएंगे ही आएंगे यही ईश्वर का बनाया हुआ नियम हैं | हर इंसान जिसका जन्म हुआ हैं उसकी मृत्यु भी होगी |

इसलिए जो लोग रोते रहते हैं ना की मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ
उनके लिए मैं एक किस्सा सुनाता हूँ Arthur Robert Ashe का जो कि Tennis के महान खिलाड़ी थे | जिन्होंने 3 Grand Slam Wimbledon, US Open और Australian Open जीतकर world record अपने नाम किया था |

1988 में उनकी Heart की सर्जरी हुई थी जिसके दौरान उन्हें गलती से HIV संक्रमित Blood चढ़ा दिया था | जिस कारण वे HIV ऱोग से ग्रसित हो गए |
जब ये बात Arthur Robert Ashe के Fans को पता चली तो दुनियाभर से उनके Fans और शुभचिंतको के पत्र आने लगे |
सभी लोगों ने पत्र के जरिये संवेदना प्रकट की |
ऐसे ही एक अनोखा fan था जिसने पत्र में लिखा कि “भगवान ने आपको ही इतनी बुरी बीमारी देने के लिए क्यों चुना ?”

तब Arthur Ashe ने इस सवाल का जवाब ऐसे दिया की वो जवाब Wimbledon Court No. 1 / Central Tennis Court में Granite Plate पर लिख दिया गया जिसे आज भी देखा जा सकता हैं |
Ashe ने जवाब में लिखा :-

पूरी दुनियाँ में 50 Millions बच्चे Tennis खेलना शुरू करते हैं |
उनमें से 5 Millions बच्चें Tennis की Training ले पाते हैं |
जिनमें से सिर्फ़ 5 लाख बच्चें ही Professional Training तक पहुंचते हैं |
फिर उनमें से 50 हज़ार ही सफ़ल होकर Tennis Court तक आ पाते हैं |
इनमें से 5 हज़ार Grand Slam तक जाते हैं |
जिनमें से 50 Wimbledon तक पहुंचते हैं |
जिसके बाद 4 Semifinal और आख़िर में 2 लोग Final में आते हैं |

जब मैं उस विजय ट्रॉफी को हाथमें उठाये हुए था तो मैंने भगवान से ये कभी नहीं पूछा की मैं ही क्यों ?
और आज जब मैं तकलीफ़ में हूँ तो कैसे मैं भगवान से पूछलू की मैं ही क्यों !

Arthur Robert Ashe के इस जवाब से हम सभी को ये शिक्षा लेनी चाहिए
“जिस तरह हम ईश्वर की दी गई खुशियों को स्वीकार करते हैं ,
उसी तरह हमें अपने दुःख तकलीफों को भी स्वीकार करना चाहिए ” |


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2 thoughts on “मेरे साथ ही ऐसा क्यों?

  1. Greetings! Very useful advice in this particular post! Its the little changes that will make the most significant changes. Thanks for sharing!

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